haryana news : फतेहाबाद सीटीएम व टोहाना तहसीलदार के रीडर सस्पेंड

parmodkumar

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फतेहाबाद व टोहाना   – फतेहाबाद की जिला उपायुक्त मनदीप कौर ने शुक्रवार को सिटीएम फतेहाबाद व टोहाना तहसीलदार के रीडरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। हालांकि फतेहाबाद में ही तैनात एक एच सी एस अधिकारी ने कुछ दिन पहले दोनों क्लर्कों को क्लीन चिट देने का प्रयास किया था, लेकिन जब मामला जिला उपायुक्त के संज्ञान में आया तो उन्होंने एचसीएस अधिकारी के खिलाफ ही जांच के लिए कमिश्नर हिसार को लिख दिया तथा दोनों क्लर्कों को निलंबित करते हुए दोनों का हेड क्वार्टर फतेहाबाद डीसी कार्यालय कर रहा दिया। बताया जा रहा है कि वाहन पंजीकरण में गड़बड़ी के पुराने मामले को लेकर दोनों पर कार्रवाई की गई है।

 

जानकारी के अनुसार डीसी मनदीप कौर ने तहसीलदार टोहाना के रीडर ओमप्रकाश सिहाग व सीटीएम फतेहाबाद के रीडर राजेश खटक को सस्पेंड किया है। गौरतलब है कि उक्त दोनों वर्ष 2019 -20 के दौरान दोनों वाहन पंजीकरण कार्यालय में नियुक्त थे, तब वाहन पंजीकरण को लेकर गड़बड़ी सामने आई थी, जिसमें काफी संख्या में पुराने बीएस 4 वाहनों की गलत तरीके से बीएस 6 दर्शा कर पंजीकरण की बात सामने आई थी। इस मामले में 7 अक्तूबर 2022 को उक्त दोनों के अलावा तत्कालीन एसडीएम रहे सतबीर सिंह जांगू, सरजीत सिंह नैन व हिसार के आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।

जिसमें आरोप लगाया गया था कि उक्त लोगों ने 2012, 13 में निर्मित वाहनों को 2018, 19, 20 का दिखाकर पंजीकरण कर दिया। 27 वाहनों में अधिकांश एलएमएल वेस्पा स्कूटर थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि उक्त एल एम एल कंपनी ने 2013 में स्कूटरों का निर्माण बंद कर दिया था, जबकि पंजीकरण में इन्हें 2018 से लेकर 2020 में निर्मित दिखाया गया।

फतेहाबाद एसडीएम कार्यालय में फर्जीवाड़ा लंबे समय से चला आ रहा है। इससे पहले वर्ष 2021 में भी सीएम फ्लाइंग ने छापा मारकर वाहन पंजीकरण का फर्जीवाड़ा पकड़ा था।

उसमें भी 2018 से 2020 तक के वाहनों के फर्जी पंजीकरण का मामला पकड़ा। इस दौरान फतेहाबाद में एसडीएम रहे सतबीर सिंह, सरजीत सिंह व संजय बिश्नोई के अलावा दोनों क्लर्कों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। सरजीत सिंह व सतबीर सिंह रिटायर्ड हो चुके हैं, जबकि संजय बिश्नोई फतेहाबाद में ही जिला नगर आयुक्त एवं जिला परिवहन अधिकारी के पद पर है। दोनों मामलों की अभी भी जांच चल रही है।

रोचक पहलू यह रहा कि फतेहाबाद के एक एचसीएस अधिकारी ने उक्त मामले की जांच करते हुए दोनो क्लर्कों की एक साल की इंक्रीमेंट रोकने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन दो घंटे बाद ही दूसरा आदेश जारी कर दिया कि उनकी सजा को निरस्त करते हुए उनके कार्य की निंदा करते हुए मामले का पटाक्षेप कर दिया जाए।

लेकिन जब यह मामला डीसी मनदीप कौर के संज्ञान में आया तो उन्होंने उक्त एचसीएस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच के लिए कमिश्नर हिसार को लिख दिया तथा उक्त दोनों मामलों की प्रगति रिपोर्ट फतेहाबाद एसपी से मांग ली। अब एसपी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर दोनों क्लर्कों को निलंबित कर दिया गया है।

बीते कुछ सालों में गाड़ी पंजीकरण के मामले में विख्यात था। जो गाड़ी देश में कही भी पंजीकृत न होती हो, वह फतेहाबाद में हो जाती थी। यहां तक कि 15 सौ किलोमीटर दूर मुंबई के लोग फतेहाबाद से गाड़ी पंजीकरण करवाते थे।

गोरेगांव पूर्वी मुंबई के अरविंद यादव को फतेहाबाद के गांव हांसपुर का निवासी दिखाकर पंजीकरण कर दिया। एसडीम के वाहन पंजीकरण कार्यालय में गाड़ी तीन बार बिकने के बावजूद भी फर्स्ट ऑनर दिखाकर पंजीकरण कर दी जाती थी। इसके अलावा डीजल गाड़ी के पंजीकरण की अवधि ज्यादा से ज्यादा 15 साल होती है। परंतु फतेहाबाद एसडीम कार्यालय ने गाड़ी के पंजीकरण की अवधि तो 15 साल रखी, लेकिन उसका टैक्स पेड 35 साल दिखा दिया।