हरियाणा और पंजाब के बीच तीसरा विवाद पंजाब विश्वविद्यालय के अधिकार को लेकर पैदा हो गया है। पंजाब विधानसभा के दूसरे बजट सत्र के दौरान पंजाब विश्वविद्यालय को लेकर पारित किए गए प्रस्ताव पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कड़ी आपत्ति जताई है। इससे पहले भी पंजाब ने चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जताते हुए प्रस्ताव पारित किया था, जिसके विरोध में हरियाणा ने विधानसभा सत्र बुलाकर प्रस्ताव की निंदा की और केंद्र को यथा स्थिति बनाए रखने का प्रस्ताव पास करके भेजा। हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि यह प्रस्ताव न तो तथ्यात्मक रूप से ठीक है और न ही सैद्धांतिक कसौटी पर खरा उतरता है। यह प्रस्ताव मात्र हरियाणा और विशेषकर पंचकूला के हितों पर कुठाराघात करने के उद्देश्य से पास किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से राजनीतिक हित साधने की मंशा उजागर हो रही है। गुप्ता ने कहा कि उनकी ओर से पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का हक लेने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। शीघ्र ही यह प्रयास रंग दिखाने जा रहे हैं। पंजाब सरकार ने इन प्रयासों से घबराकर ही आनन-फानन में यह प्रस्ताव पारित किया है। पंजाब विधानसभा में गुरुवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने एक तरफा रूप से विश्वविद्यालय से अपने कॉलेजों की संबद्धता वापस ले ली और इसे हरियाणा राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया, जिससे विश्वविद्यालय के राजस्व में कमी आई है। इस प्रस्ताव में लिखा है कि पंजाब विश्वविद्यालय के चरित्र को बदलने का कोई भी निर्णय पंजाब के लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा। इसमें अनुशंसा की गई है कि अगर केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है तो उसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए।