हरियाणा का पहला ऐसा सरकारी स्कूल, जहां विद्यार्थी AC कमरों में करते हैं पढ़ाई

lalita soni

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haryana s first government school where students study in ac rooms

प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जो हालत है, उसको देखकर जहां माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चे को भारी भरकम फीस देकर प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं।

 प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जो हालत है, उसको देखकर जहां माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चे को भारी भरकम फीस देकर प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं। दादरी जिले के गांव खेड़ी बूरा स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में सुविधाओं के साथ-साथ मार्डन सुविधाएं व पढ़ाई ऐसी कि प्राइवेट स्कूलों की सुविधाएं भी फीकी पड़ रही हैं। स्कूल में कक्षा 6 से 10वीं तक सभी कक्षाओं में एसी लगे हैं तथा स्कूल में ओपन जिम, आधुनिक लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, आरओ को पीने का पानी सहित डिजिटल स्क्रीन व पूरा कैंपस वाई-फाई से लैस है।

स्कूल के हेड मास्टर विकास कुमार ने बताया कि स्कूल में मार्डन सुविधाएं देने में सरकार के साथ-साथ गांव निवासी जेबीटी शिक्षक राजेश का भी अहम रोल है। शिक्षक ने अपने पिता मुंशीराम के स्वर्गवास होने के बाद उनकी पूरी पेंशन स्कूल में लगाने का निर्णय लिया और उनके प्रयासों से आज यह सरकारी स्कूल आधुनिक सुविधाओं से लैस है। विशेष बात ये है कि सरकार द्वारा सौंदर्यीकरण में मामले में स्कूल को नंबर वन स्थान हासिल किया है। जेबीटी शिक्षक राजेश द्वारा न केवल स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर के बेहतरी के लिए योगदान दिया जा रहा है, बल्कि विद्यार्थियों की भी खूब मदद की जा रही है।

PunjabKesariप्रतिभाओं को प्रति वर्ष मिलते हैं इनाम, किताबें व ड्रेस भी फ्री

प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शिक्षक राजेश के पिता की पेंशन व अपने स्तर पर बोर्ड कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थी को 11 हजार, 5100 व 2100 रुपये का पुरस्कार दिया जा रहा है। इसी प्रकार अन्य कक्षाओं में भी विद्यार्थियों को इनाम मिलता है। यहीं नहीं विद्यार्थियों के लिए स्टेशनरी का सामान, स्टॉफ को सम्मानित, बच्चों की ड्रेस, गरीब बच्चों के लिए किताबों का खर्च, बैग इत्यादि भी शिक्षक अपनी कमाई से उपलब्ध करवा रहे हैं।

विद्यार्थियों का भविष्य बनाने के लिए लगा रहे हैं पिता की पेंशन का खर्च

शिक्षक राजेश ने बताया कि वह मानकावास के राजकीय स्कूल में जेबीटी शिक्षक हैं। उनके पिता मुंशीराम आर्मी में थे और सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने बैंक में गार्ड की नौकरी की। उनकी मौत के बाद उनके पिताजी की जो पेंशन आती है, उसको गांव के सरकारी स्कूल में लगाने का निर्णय लिया। वह हर साल अपने पिता की पुण्यतिथि पर स्कूल में कार्यक्रम आयोजित कर स्कूल में पेंशन की सारी पूंजी लगाते हैं। साथ ही सरकार व अपने स्वयं के खर्च से स्कूल में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।