Health Alert: बचपन की ये एक गलती कम कर सकती है आपकी उम्र, डायबिटीज और हृदय रोगों का भी बढ़ जाता है खतरा !

parmodkumar

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बेहतर भविष्य निर्माण के लिए स्वस्थ बचपन को मूल आधार माना जाता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों को नियमित रूप से पौष्टिक आहार देने, उन्हें बाहर खेलने के लिए भेजने, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह देते हैं। कई अध्ययनों में बच्चों में बढ़ते मोटापे की समस्या को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जताते रहे हैं। अधिक वजन या मोटापा के शिकार बच्चों में न सिर्फ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा रहता है, साथ ही ये बचपन की ये एक समस्या आपकी उम्र भी कम कर सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों में मोटापे की समस्या न केवल तत्काल स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ाने वाली हो सकती है, बल्कि इसे भविष्य के लिए भी कई प्रकार से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। कई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि मोटापा के शिकार बच्चों में सामान्य वजन वाले बच्चों की तुलना में कई तरह की क्रोनिक बीमारियों के विकसित होने का जोखिम हो सकता है। कम उम्र में मोटापा के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को समझने के लिए किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ये समस्या समय से पहले मौत का भी कारण बन सकती है।

एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनियाभर में 880 मिलियन (88 करोड़) से अधिक लोग मोटापा से पीड़ित हैं। इसमें 160 मिलियन (16 करोड़) से अधिक लोग पांच से 19 की आयु वाले हैं। ये संख्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिससे युवा पीढ़ी के बीच मोटापा एक ‘महामारी’ के रूप में बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मोटापे के लिए भले ही कोई भी कारण जिम्मेदार क्यों न हो, ये कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं को बढ़ाने वाली स्थिति हो सकती है। बचपन में मोटापा के कारण युवावस्था में हृदय रोग, डायबिटीज, लिवर की बीमारियों सहित संपूर्ण स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।

कम उम्र में हृदय रोगों का बढ़ जाता है खतरा

अधिक वजन या मोटापा की समस्या को हृदय रोगों के लिए प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। वजन अधिक होने के कारण शरीर को रक्त का संचार ठीक रखने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा मोटापा को उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोग के जोखिम कारकों को भी बढ़ावा देने वाला भी माना जाता है।

इसी से संबंधित साल 2023 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हाई बीएमआई वाले बच्चों में वयस्कता में हृदय रोग होने की आशंका 40% अधिक होती है। हृदय रोगों को वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है।

बढ़ जाता है डायबिटीज का जोखिम

हृदय रोग और डायबिटीज दोनों की समस्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ती देखी जा रही है। कम उम्र में मोटापा की दिक्कत, भविष्य में इन दोनों ही बीमारियों के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है, जिस वजह से शरीर में ग्लूकोज का स्तर काफी तेजी से बढ़ने लगता है।  शोध से पता चलता है कि मोटापे से ग्रस्त बच्चों में कम बीएमआई वाले बच्चों की तुलना में मधुमेह विकसित होने की आशंका अधिक देखी जाती रही है।

गौरतलब है कि डायबिटीज की समस्या, हृदय रोगों का भी कारण बन सकती है। इसके अलावा इससे किडनी की बीमारी, आंखों को रोशनी कमजोर होने और तंत्रिकाओं में क्षति होने जैसी जटिलताओं का जोखिम भी अधिक हो सकता है।

मोटापा कम कर सकती है कुल आयु

बचपन में मोटापा की समस्या क्रोनिक बीमारियों को तो बढ़ाती ही है साथ ही ये स्थिति आपकी कुल उम्र को भी कम करने वाली हो सकती है। इसी से संबंधित स्वीडिश वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि बचपन में मोटापा होने से 55 वर्ष की आयु से पहले मृत्यु का जोखिम दोगुना हो सकता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बच्चों सहित सभी उम्र के लोगों में मोटापा को कम कम करने के प्रयास करने पर जोर दिया।