Health Tips -सर्दी बढ़ने से निमोनिया की चपेट में आ रहे बच्चे, अस्थमा भी कर रहा परेशान !

parmodkumar

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सर्दी बढ़ने के साथ ही बच्चे निमोनिया की चपेट में आने लगे हैं। ठंड व प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों पर भी असर डाल रहा है। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है।

सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं। खासकर छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में। सर्दी-खांसी जैसे मामूली लक्षणों की अनदेखी करने पर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।

बताया  कि अगर निमोनिया में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती तो उसे दवा दी जाती हैं। इसमें बुखार और सर्दी-खांसी कम करने की दवा दी जाती हैं। इसके साथ ही बच्चे की स्थिति के आधार पर एंटीबायोटिक दी जाती है।

बच्चों पर ज्यादा होता है निमोनिया का असर

संक्रमित व्यक्ति खांसता व छींकता है तो वायरस व बैक्टीरिया सांस से फेफड़ों तक पहुंच कर सामने बैठे व्यक्ति को संक्रमित कर देते हैं। निमोनिया का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होता है। खासतौर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने और दूध पीने में दिक्कत होती है।

यह हैं निमोनिया के प्रमुख लक्षण

तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंक के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।

लक्षण पहचानें, तुरंत चिकित्सक को दिखाएं

नवजात शिशु देखने में बीमार लगे, दूध न पिए, सांस लेने में दिक्कत हो, सुस्त हो, रोये या बुखार हो तो उन्हें निमोनिया हो सकता है। इसके लिए तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। निमोनिया से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें। बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते हैं, अवश्य पिलाएं तथा बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं।

खांसी जल्दी नहीं हो रही ठीक

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि खांसी होने पर जल्दी ठीक नहीं हो रही है। इन्फेक्शन के कारण खांसी अधिक दिनों तक चल रही है। सांस के पुराने मरीजों की परेशानी बढ़ने के कारण दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है। कई मरीजों को इनहेलर का सुझाव दिया गया है। वहीं नाक व गले में एलर्जी की समस्या भी बढ़ गई है। कुछ युवा भी सांस फूलने व छाती में दर्द की परेशानी के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

  • सफाई का रखें ध्यान
  • धूल और गंदगी से छोटे बच्चों को दूर रखें। इससे उन्हें सांस की समस्या के साथ दस्त भी हो सकते हैं।
  • छोटे बच्चों को रोज नहलाने के बजाय हर दूसरे दिन गर्म पानी में साफ्ट एंटीबैक्टीरियल लिक्विड डालकर उसमें नर्म तौलिया भिगोकर उनका शरीर साफ कर दें।
  • मौसम के अनुसार बच्चे को गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दें।
  • हल्की ठंड को नजरअंदाज न करें और बच्चे को हमेशा मोजे पहना कर रखें।
  • गर्म तेल से करें मालिश।
  • सर्दियों में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। डाइट में अंडा, ड्राई फ्राइट्स, दूध, मौसमी फल-सब्जियां शामिल करें।
  • सर्दी में भूल से भी बच्चे को ठंडी चीजें न खिलाएं। बासी या ठंडा खाना न दें।