करनाल में 25 मई को उपचुनाव होना है। पंचकूला निवासी रविंदर सिंह ने एक जनहित याचिका दाखिल कर हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम होने की दलील देते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की थी। इस याचिका में बीते दिनों आए महाराष्ट्र के अकोला उपचुनाव को रद्द करने के मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के फैसले को आधार बनाया गया है। वहां पर भी विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के चलते उपचुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया गया है।
याची ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए के अनुसार यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो चुनाव आयोग के पास उपचुनाव कराने का अधिकार नहीं होता है। महाराष्ट्र के अकोला के लिए भी चुनाव आयोग ने 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर 26 अप्रैल को चुनाव करवाने का निर्णय लिया था। इस फैसले को बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने चुनाव अधिसूचना को रद्द कर दिया। याची ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151-ए की व्याख्या बहुत सरल और स्पष्ट है और इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है।
एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि यदि मामला केवल एक विधानसभा सीट का होता तो चुनाव रोका जा सकता था लेकिन यहां मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा है जिन्हें 6 माह के भीतर चुनाव जीतना है। ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह उपचुनाव करवा सकता है। 1986 में भी भिवानी जिले की तोशाम सीट पर ऐसे ही उपचुनाव कराया गया था। वर्ष 1999 में ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद गिरिधर गमांग के लिए भी एक वर्ष से कम अवधि के लिए विधानसभा उपचुनाव कराया गया था।