टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में पहुंचे किसान नेताओं के भाषण सुनते हुए, किसानों की संख्या बढ़ने से प्रशासन के हाथ पांव फूले।

Parmod Kumar

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कृषि कानूनों के विरोध में टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में एक बार फिर से पंजाब से लोगों के आने से पंडालों में भीड़ एकत्र होने लगी है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच इस तरह से बाहर से आकर लोगों का आंदोलनकारियों की भीड़ में शामिल होने से यहां भी कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को डीसी ने भी किसानों को कोरना की जांच करवाने वैक्सीन लगवाने को कहा था। पर तब भी किसान अधिकारियों को गोलमोल जवाब देकर चले गए थे। शुक्रवार को किसानों ने गुरुवार को झज्जर डीसी के आग्रह के बारे में पंडाल में किसानों को अवगत तक भी नहीं करवाना ठीक नहीं समझा। अब शहर के टिकरी बाॅर्डर व नया गांव स्थिति चल रहे आंदोलन में भीड़ बढ़ने से व पंडालों के दोनों तरफ बढ़ती भीड़, लगातार लोगों की आवाजाही और कोरोना से बचाव के किसी भी नियमों का पालन नहीं होने के कारण आंदोलन स्थल पर संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा मंडराने लगा है।

आंदोलनकारी नहीं करवा रहे कोविड की जांच

गेहूं की फसल कटाई के बाद एक बार फिर से आंदोलनकारी बॉर्डर पर जुटने लगे हैं। नया गांव में आंदोलन स्थल पर पहले से ही पांच-सात हजार लोग मौजद है व गुरुवार को करीब पांच हजार के करीब और किसान व उनके परिवार पहुंचे थे। जिनमें से कुछ शुक्रवार वापस भी गए हैं। अब एक बार फिर से पंजाब से वाहनों के द्वारा बड़ी संख्या में पंजाब से आंदोलनकारी यहां पहुंचने का सिलसिला जारी है। आंदोलन स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए आसपास के लोग भी सशंकित हो गए हैं और उन्हें कोरोना का भय सताने लगा है। खास कर टिकरी बाॅर्डर पर स्थित बाजारों में दुकानदारों में कोरोना को लेकर लोगों में डर बनने व व्यापारी इस बारे में बोलने भी लगे हैं। टिकरी और आसपास के लोगों का कहना है कि जब तक यह आंदोलन जारी रहेगा, भीड़ आती रहेगी। इसलिए सरकार को किसी भी तरह से इनको यहां से हटाना चाहिए। क्योंकि ये आंदोलनकारी न तो अपनी कोविड की जांच करवा रहें है और न ही रोड को खाली कर रहे हैं।

आंदोलनकारियों की भीड़ शहरवासियों पर पड़ सकती है भारी

कोविड-19 का दूसरा चरण बेकाबू होने लगा है। बहादुरगढ़ के अस्पतालों में मरीजों के लिए बैड कर भी नहीं है ऑक्सीजन के लाले पड़ गए हैं। जिले में रोजाना 150 से 160 लोग कोरोना संक्रमित होते जा रहे हैं और इनमें बड़ी संख्या में मरीज बहादुरगढ़ शहर से ही मिल रहे हैं। ऐसे में बिना जांच के सड़कों पर बैठे आंदोलनकारी शहर के लोगों की थोड़ी सी लापरवाही पर भारी पड़ सकती है और कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन स्थल पर इसको लेकर पूरी लापरवाही बरती जा रही है। शुक्रवार को भी किसानों ने भाषणों में साफ तौर पर कहा है कि मोर्चा किसी भी आंदोलनकारी की कोरोना जांच प्रशासन को नहीं करने देगा। क्योंकि प्रशासन सरकार के इशारे पर उन्हें उठाने की बात कह रहा है। नेताओं को कहना है कि हमें कोई रोग नहीं है। दूसरी तरफ उद्योगपतियों में आरबी यादव का कहना है कि इस महामारी के प्रकोप से पूरा देश प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आंदोलन के बारे में सोचना किसानों व शहर के लोगों दोनों के लिए खतरे से खाली नहीं है।