बारिश और ओलावृष्टि से पहुंचा भारी नुकसान किसानों की मेहनत पर फिरा पानी सड़ने लगी सब्जियां

Parmod Kumar

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विभाग ने किसानों से शीघ्रता से जलनिकासी करने को कहा है, साथ ही नुकसान को गिरदावरी में शामिल करने और फसली नुकसान को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर पंजीकृत कराने को कहा है। वहीं भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों को एडवाइजरी जारी करके सिंचाई प्रबंधन पर खास ध्यान देने, चेपा व पीला रतुआ आदि रोगों के प्रति सतर्क रहते हुए निगरानी रखने को कहा है।

उपनिदेशक (कृषि) डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पहले से ही फसलों की गिरदावरी चल रही है, जिसमें इस फसली नुकसान को भी शामिल कर लिया गया है। किसानों को यथाशीघ्र क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का पंजीकरण करा देना चाहिए। जो गेहूं गिरा है यदि जलभराव खत्म हो जाता है तो उसकी रिकवरी अभी हो जाएगी, जिससे नुकसान कम हो जाएगा। इधर, जिला बागवानी अधिकारी डॉ. मदन लाल ने बताया कि किसानों को चाहिए, ओलावृष्टि व बारिश का जल भरने से निश्चित तौर पर सब्जियों को नुकसान हुआ है लेकिन शीघ्रता से किसानों को जल निकासी करनी चाहिए।

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें सिंचाई प्रबंधन पर खास जोर दिया गया है। देश के अधिकांश हिस्सों में 15 मार्च तक तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है लेकिन मध्य से अंत तक तापमान बढ़ सकता है। जिसके लिए सिंचाई और कीटों से बचाव के तरीके सुझाए गए हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च के दूसरे व तीसरे सप्ताह में किसानों को गेहूं की फसल में जरूरत के अनुसार सिंचाई की सलाह दी गई है। तेज हवा वाले मौसम की स्थिति में लोजिंग (गिरने) की स्थिति से बचने के लिए सिंचाई न करें, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके। मार्च के मध्य से अंत तक तापमान बढ़ने की स्थिति में फसलों को सूखे की स्थिति से बचाने के लिए और तनाव को कम करने के लिए उपाय करें। पहले तो 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एमओपी घोले या फिर दो प्रतिशत केएनओ 3 (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4.0 किलोग्राम) दो बार बूट लीफ और एंथेसिस चरण के बाद स्प्रे कर सकते हैं।

कीट (एफिड) के लिए सलाह : गेहूं की पत्ती में माहूं (चेपा) की निरंतर निगरानी रखें। पत्ती कीट का अधिक प्रकोप (ईटीएल:10-15 एफिड/टिलर) होने पर किसानों को क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ईसी का उपयोग कर सकते हैं। 400 मिली क्विनालफॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

पीला रतुआ के लिए किसान गेहूं की फसल का नियमित निरीक्षण करते रहें। पंजाब के कुछ गांवों में धारीदार जंग की सूचना मिल रही है। यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में पीला रतुआ का प्रकोप देखें तो प्रीपीकोनॉडोल 25ईसी का एक छिड़काव एक लीटर पानी में एक मिली रसायन मिलाकर करना चाहिए। एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिली कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।