30 साल से पिता चल रहे ऑटो, मां बेचती है दूध.. राष्ट्रपति से सम्मानित होने वाली हरियाणवी बॉक्सर मीनाक्षी की कहानी

parmodkumar

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सितंबर 2025 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को मेडल दिलाने वाली 4 महिला बॉक्सरों को बुधवार को सम्मानित किया। इन बॉक्सरों को सम्मानित करने के लिए नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया गया था। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 4 से 14 सितंबर तक इंग्लैंड के लीवरपूल में हुई थी। इस चैंपियनशिप में रोहतक जिला के रूड़की गांव की मीनाक्षी हुड्डा , भिवानी जिला की बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया, पूजा रानी बोहरा और नूपुर श्योराण ने मेडल हासिल किए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बॉक्सरों के साथ पंच के साथ फोटो करवाया। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप नए अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ की पहली चैंपियनशिप थी।

कौन हैं मीनाक्षी हुड्डा
रूड़की गांव की मीनाक्षी हुड्डा ऑटो चालक की बेटी है। वह वर्ष 2013 में पहली बार बॉक्सिंग रिंग में प्रेक्टिस के लिए उतरी थी। जब प्रेक्टिस करने जाती तो लोग ताने भी मारते, लेकिन कभी उसकी परवाह नहीं की और लगातार प्रेक्टिस करती रही। मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम भारवर्ग में भाग लिया था और एशियन चैंपियन को एक तरफा 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। गौरतलब है कि मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ष 2017 में जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, वर्ष 2019 में नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, वर्ष 2021 में सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक और वर्ष 2024 में ब्रिक्स व एलोर्डा कप में स्वर्ण पदक जीता।

आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पिता ने किया था विरोध
मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ष 2013 में रूड़की गांव में ही बॉक्सिंग खेलना शुरू किया। हालांकि आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से शुरूआत में पिता कृष्ण हुड्डा ने बेटी के बॉक्सिंग खेलने का विरोध भी किया लेकिन फिर गांव में ही कोच विजय हुड्डा ने प्रोत्साहित किया। कृष्ण हुड्डा ऑटो चालक हैं। ऐसे में परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी तो पत्नी सुनीता ने घर में भैंस रखकर दूध बेचना शुरू किया और बेटी को आगे बढने के लिए प्रेरित किया। कृष्ण हुड्डा का कहना है कि मीनाक्षी जैसे-जैसे प्रतियोगिताओं में पदक लाती गई तो हौसला बढ़ता चला गया। उनका कहना है कि बेटी के पदक जीतने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

बेटी ने खरीदकर दिया पुराना ऑटो
कृष्ण हुड्डा 30 साल से किराए पर ऑटो लेकर चला रहे हैं। वर्ष 2022 में बेटी मीनाक्षी भारतीय तिब्बत पुलिस में नौकरी लगी तो बेटी ने ही पुराना ऑटो खरीदकर उसे दिया था। जब मीनाक्षी पहली बार बॉक्सिंग के लिए खेलने गई तो ग्रामीणों ने काफी एतराज किया। ग्रामीण कहते कि बेटी को कहां खेलने भेज रहे हो, यह क्या करेगी। नाक तुड़वा लेगी, फिर शादी कैसे होगी। बेटी को बाहर मत भेज, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों की परवाह नहीं की और बेटी को चैंपियनशिप के लिए भेजते रहे। मां सुनीता का कहना है कि हमेशा ही उन्होंने मीनाक्षी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। गांव में स्कूल की शिक्षिकाओं ने भी साथ किया। उन्होंने घर में भैंस रखकर दूध बेचा और बेटी का हर पल साथ दिया। अब बेटी विश्व चौंपियन बनी है तो उसे बहुत खुशी हो रही है।

मां को बेटी पर था विश्वास
उन्होंने बताया कि शुरुआत में मीनाक्षी के पिता मना करते थे कि बेटी को बाहर नहीं भेजना। गांव वालों के दबाव में आकर हमेशा मना करते थे। लेकिन उन्हें बेटी पर विश्वास था कि एक दिन बेटी उनका नाम रोशन करेगी और बेटी के मन में जो इच्छा है, उसे पूरा करना चाहिए। जब पिता काम पर जाते थे तो पीछे से मीनाक्षी प्रेक्टिस करने के लिए स्टेडियम चली जाती। शुरुआत के करीब 4 महीने तक ऐसा ही चलता रहा। उसके बाद जब मीनाक्षी के पिता को पता चला तो काफी गुस्सा किया, लेकिन बाद में कोच विजय हुड्डा और उनके कहने पर मीनाक्षी के पिता मान गए। शुरुआत में मीनाक्षी ने हैंडबॉल खेला, लेकिन बॉक्सिंग में हाथ आजमाने के बाद बॉक्सर बनने की ठान ली। सुनीता देवी बताती हैं कि जब मीनाक्षी पहली बार मेडल जीतकर आई तो लोगों की सोच बदलने लगी।