बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि अगर कोई महिला अपनी मर्जी से किसी पुरुष के साथ होटल के कमरे में जाती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि महिला ने उस पुरुष को शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दे दी है। जस्टिस भारत पी देशपांडे ने अपने फैसले में कहा कि ‘इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि आरोपी और शिकायतकर्ता महिला ने मिलकर होटल के कमरे की बुकिंग की थी। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि पीड़िता ने शारीरिक संबंध बनाने की भी सहमति दे दी थी। अगर ये मान भी लें कि पीड़िता, आरोपी के साथ होटल के कमरे में गई, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये मान लिया जाए कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दे दी है।’ इस फैसले के साथ ही अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें निचली अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को बंद करने का आदेश दिया था। जस्टिस भारत पी देशपांडे ने अपने फैसले में कहा कि ‘इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि आरोपी और शिकायतकर्ता महिला ने मिलकर होटल के कमरे की बुकिंग की थी। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि पीड़िता ने शारीरिक संबंध बनाने की भी सहमति दे दी थी। अगर ये मान भी लें कि पीड़िता, आरोपी के साथ होटल के कमरे में गई, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये मान लिया जाए कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दे दी है।’ इस फैसले के साथ ही अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें निचली अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को बंद करने का आदेश दिया था।
यह मामला मार्च 2020 का है। आरोपी गुलशहर अहमद ने कथित तौर पर पीड़ित महिला को विदेश में नौकरी दिलाने का वादा किया था। आरोपी ने कथित तौर पर महिला को रोजगार के सिलसिले में एक एजेंसी के साथ बैठक कराने के लिए होटल बुलाया। आरोपी और पीड़िता दोनों ने साथ मिलकर होटल का कमरा बुक किया। आरोप है कि जैसे ही दोनों होटल के कमरे में पहुंचे तो आरोपी ने धमकाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया।
एफआईआर के अनुसार –आरोपी जैसे ही वॉशरूम गया तो पीड़िता वहां से बचकर भाग आई और आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 506 के तहत मामला दर्ज किया। निचली अदालत ने अपने आदेश में यह कहकर आरोपी के खिलाफ मामला बंद करने का आदेश दिया कि पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के साथ होटल के रूम में गई थी। निचली अदालत ने माना कि चूंकि महिला अपनी मर्जी से आरोपी के साथ होटल के कमरे में गई तो इसका मतलब ये है कि उसने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी।