व्हिप के कारण पार्टी के खिलाफ नहीं जा सके विधायक
जजपा विधायक बोलने का समय न मिलने से भले नाराज, पर रहे सरकार के साथ अविश्वास प्रस्ताव के जरिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सियासी किले में सेंध लगाने की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कोशिश नाकाम हो गई। कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव सदन में औंधे मुंह गिरा। जजपा को दोफाड़ करने और निर्दलीय विधायकों को साथ लाने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई। प्रत्यक्ष मतदान और पार्टी व्हिप के कारण भी किसी विधायक ने प्रस्ताव के समर्थन में खड़ा होने की हिम्मत नहीं जुटाई। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को दो निर्दलीय विधायकों बलराज कुंडू और सोमवीर सांगवान का समर्थन जरूर मिला, लेकिन कुंडू ने साफ कर किया कि वह कांग्रेस के साथ नहीं, किसानों के समर्थन में लाए प्रस्ताव के साथ हैं, इसलिए इसके पक्ष में मतदान कर रहे हैं। सांगवान पहले ही सरकार से किसानों के मुद्दे पर समर्थन वापस ले चुके हैं, ऐसे में उनको भी सरकार के खिलाफ ही जाना था। सत्ता पक्ष के विधायकों ने किसान हितैषी होने का दावा तो खूब किया, लेकिन सरकार के विरुद्घ जाने का रिस्क नहीं लिया। जजपा विधायक भले ही किसान आंदोलन के समर्थन और नए कृषि कानूनों के खिलाफ हों, लेकिन पार्टी के खिलाफ जाने का दम वे भी नहीं भर पाए। उनकी जुबान पर एक ही बात रही कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। उन्हें विधायक बने हुए अभी सवा साल से थोड़ा अधिक समय ही हुआ है, इसलिए किसी ने व्हिप को तोड़ने के बारे में सोचा तक नहीं। अगर कोई व्हिप के खिलाफ जाता तो विधानसभा सदस्यता तक गंवानी पड़ सकती थी जजपा विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने के लिए समय न देने को लेकर सदन में नाराजगी जरूर जताई, मगर खड़े सरकार के साथ ही हुए। जजपा विधायक देवेंद्र बबली तो गुस्सा ही गए। उन्होंने स्पीकर से कहा कि प्रस्ताव पर बोलने का समय दें। स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि उनके लीडर की ओर से दी गई सूची में आपका नाम नहीं है। इससे वह नाराज हो गए और कहा कि उन्हें तो इस्तीफा ही दे देना चाहिए। जजपा विधायक रामकुमार गौतम ने भी चर्चा में भाग लेने का मौका न मिलने पर नाराजगी व्यक्त की। जजपा ने दी मजबूती, भविष्य में पद मिलने की आस
सीएम मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अविश्वास प्रस्ताव की काट पहले ही तैयार कर ली थी। उन्होंने एक-एक कर सभी विधायकों के साथ चर्चा की थी। जिसमें उन्हें सरकार की अहमियत समझाई गई। भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार व अन्य पदों पर समयोजन को लेकर भी चर्चा हो चुकी थी। किसानों के हित सुरक्षित रखने का वादा भी विधायकों के साथ किया गया है। निर्दलीय विधायकों ने खूब निभाया साथ
निर्दलीय विधायकों को सीएम मनोहर लाल ने लंच डिप्लोमेसी व चेयरमैन पद देकर पहले ही साध लिया था। निर्दलीय भी भलीभांति जानते थे कि क्षेत्र की जनता के काम कराने के लिए सरकार के साथ ही चलना होगा। इसलिए उन्होंने मंगलवार को भी सरकार के पक्ष में मतदान करने की रणनीति बना ली थी। निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन व नयनपाल रावत ने सदन में मजबूती के साथ सरकार का साथ निभाया।














































