कांग्रेसी विधायक का वोट रद्द होने से हुड्‌डा के राजनीतिक कौशल पर लगा प्रश्नचिन्ह

Parmod Kumar

0
149

हरियाणा राज्यसभा की दो सीटों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी। विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा और उनके खेमे के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के नेतृत्व में यह पहला राज्यसभा चुनाव था। इस चुनाव में पर्याप्त वोट संख्या होने के बाद भी हुड्‌डा भाजपा- जजपा गठबंधन से गच्चा खा गए और कांग्रेसी उम्मीदवार अजय माकन को जीत नहीं दिला पाए। कांग्रेस के पास 31 विधायक थे, पंरतु कुलदीप बिश्नोई के बगावती सुर से हुड्‌डा पहले ही वाकिफ थे। इसलिए संख्या 30 बनती थी। परंतु एक कांग्रेसी विधायक का वोट रद्द होने से हुड्‌डा के राजनीतिक कौशल पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया। बाकायदा रायपुर में कांग्रेसी विधायकों को 4 बार मॉक ड्रिल से ट्रेनिंग दी गई। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की रणनीति हुड्‌डा परिवार और कांग्रेस पर हावी रही है। प्रदेश में समय-समय पर सीएम को बदलने की चर्चा चलती रहती है, परंतु सीएम निर्दलीय उम्मीदवार को जीता कर और इसका समर्थन भाजपा को दिलाकर पार्टी में अदंर खाते अंसतुष्ट नेताओं पर हावी हो गए। वहीं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी कांग्रेस को संदेश दिया कि जजपा को कम न आंका जाए। अब गठबंधन विधानसभा चुनाव 2024 तक टिके रहने के पूरे आसार हैं। निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के भाई मनु शर्मा ने तिहाड़ जेल में बंद रहे जेबीटी घोटाले में ओपी चौटाला और अजय चौटाला की मदद की। जजपा और इनेलो दोनों ने मनु शर्मा के उन अहसानों का बदला कार्तिकेय शर्मा की जीत दिलाकर उतार दिया। इस जीत के बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव हार चुके हरियाणा जन चेतना पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने अपने बेटे कार्तिकेय की राजनीति में जोरदार एंट्री की।