स्कूल बैग का वजन कितना होना चाहिए? सरकार ने खुद बताया किस क्लास में कितने Kg

parmodkumar

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा 4.33 में साफ कहा गया है कि एनसीईआरटी, एससीईआरटी, स्कूलों और शिक्षकों को साथ मिलकर स्कूल बैग के वजन को कम करने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। इसके बाद सीबीएसई , एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन की विशेषज्ञ कमेटी ने स्कूल बैग नीति भी बनाई और हर क्लास के स्कूल बैग के वजन की अधिकतम सीमा भी तय की गई।

शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को यह नीति लागू करने के लिए भी कहा लेकिन अभी भी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। छोटे- छोटे बच्चे भारी भरकम स्कूल बैग लेकर जाते हैं और इससे वे बीमार भी हो रहे है। संसद में इस बारे में एक सवाल भी पूछा गया था, जिसके लिखित जवाब में स्कूल बैग के वजन को कम करने और देश के सभी स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 बैगलेस (Bagless Days) के नियम को अनिवार्य रूप से शामिल करने की बात कही गई है।

स्कूल बैग का वजन कितना होना चाहिए ?
शिक्षा मंत्रालय ने सांसद रामवीर सिंह विधूड़ी के एक सवाल के जवाब में लोकसभा में बताया है कि NEP 2020 के अनुसार प्री-प्राइमरी छात्रों को स्कूल बैग नहीं ले जाना चाहिए।

इसके अलावा पहली व दूसरी क्लास के बच्चों का बैग का वजन 1.6 से 2.2 किलोग्राम, तीसरी से पांचवीं क्लास के लिए 1.7 से 2.5 किलोग्राम, छठवीं-सातवीं क्लास के लिए 2 से 3 किलोग्राम, आठवीं क्लास के लिए 2.5-4 किलोग्राम, 9वीं-10वीं के लिए 2.5- 4.5 किलोग्राम और 11वीं-12वीं क्लास के लिए स्कूल बैग का वजन 3.5- 5 किलोग्राम तक ही होना चाहिए।

स्कूल बैग नीति क्या कहती है?
स्कूल बैग नीति सिफारिश कहती है कि स्कूल बैग के वजन शरीर के वजन के 10 प्रतिशत तक के अनुपात में ही होना चाहिए। लेकिन अधिकतर स्कूलों में इस नियम का पालन होता नहीं दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूल बैग का वजन कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है और इससे बच्चों को पीठ व कंधे से जुड़ी समस्याएं भी हो रही हैं।

इस मसले को लेकर सवाल करने वाले सांसद रामवीर सिंह विधूड़ी का कहना है कि हमारे देश में बच्चों के स्कूल बैग के वजन की चर्चा वर्षों से हो रही है लेकिन इस दिशा में कभी भी कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया। बच्चों के साथ-साथ अभिभाावक भी हमेशा इसी चिंता में रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘एक अभिभावक के रूप में मैंने भी इस समस्या को देखा है। छोटे-छोटे बच्चे भारी स्कूल बैग के वजन से कराह उठते हैं। अब आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बच्चों के स्कूल बैग की सीमा निर्धारित की गई है। स्कूलों में बैगलेस डेज भी शुरू हुए हैं। यह एक अच्छी शुरुआत है और उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे स्कूल बैग का वजन कम होगा। सरकार को स्कूल बैग के वजन पर नजर भी रखनी होगी क्योंकि चंद प्राइवेट स्कूल पैसे कमाने के चक्कर में जिस प्रकार प्रकाशकों के साथ हाथ मिला लेते हैं, उसका दंड बच्चों को भारी बैग उठाकर भोगना पड़ता है।’

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह का कहना है कि स्कूल बैग का बढ़ता वजन एक गंभीर समस्या बन रहा है। राज्यों के शिक्षा विभाग की यह जिम्मेदारी है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की नीति को लागू करवाया जाए और स्कूलों की मनमानी को रोका जाए।

बैगलेस डेज
देश के सभी स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 Bagless Days के नियम को भी शामिल करना अनिवार्य होगा। 29 जुलाई 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बैगलेस डेज की गाइडलाइंस जारी की थी। 6-8 क्लास तक के छात्रों के लिए जारी की गई गाइडलाइंस में कहा है कि हर स्कूल को इसे मानना होगा। गाइडलाइंस में इंडोर और आउटडोर एक्टिविटीज के तमाम विकल्प दिए गए हैं और स्कूल अपनी सुविधा के हिसाब से इसे एनुअल प्लान में शामिल कर सकते हैं।

स्कूलों को सलाह दी गई है कि वार्षिक कैलेंडर में वर्ष में दो बार यानी 5-5 दिन तय किए जा सकते हैं, जब छात्र बिना बैग के स्कूल आएंगे। जिस तरह से स्कूल नये सत्र की शुरुआत में एनुअल एकेडमिक प्लान तैयार कर लेते हैं, उसी तरह से उस प्लान में 10 दिनों का यह शेड्यूल भी शामिल करना होगा। बैगलेस डेज के दौरान भी छात्रों को आर्टिस्ट, स्पोर्ट्समैन, एनीमेशन, ग्राफिक डिजाइनर, फैशन डिजाइर समेत अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मिलवाया जाएगा और जब तक वे स्कूल में रहेंगे, तब तक उन्हें गाइडेंस भी दी जाएगी।