चंडीगढ़: हरियाणा कैडर के आईपीएस वाई पूरन कुमार के सुसाइड के पांच दिन बीत चुके हैं लेकिन उनका अभी तक अंतिम संस्कार तो दूर पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ है। आईपीएस पूरन कुमार के बाद उनकी पत्नी अमनीत और विधायक भाई डीजीपी शत्रुजीत कपूर को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। मृत आईपीएस अधिकारी के लिए न्याय की मांग को लेकर गठित 31 सदस्यीय समिति ने डीजीपी को हटाने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। ऐसे में चर्चा हो रही है अगर हरियाणा में भ्रष्टाचार के ‘शत्रु’ की छवि बनाने वाले शत्रुजीत कपूर का स्थान कौन लेगा? हरियाणा सरकार ने दो साल पहले जब शुत्रुजीत कपूर को डीजीपी की कमान सौंपी थी तब इस सर्वोच्च पद की दौड़ में सबसे सीनियर अधिकारी मो. अकिल भी शामिल रहे थे। कुछ राजनीतिक वजहों से तब वह डीजीपी बनने से चूक गए थे।
शत्रुजीत कपूर को लेकर नाराजगी
चंडीगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि मुश्किल घड़ी में 1989 बैच के आईपीएस मोहम्मद अकील एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। अगर नायब सैनी सरकार मौजूदा डीजीपी शत्रुजीत कपूर को हटाती है या फिर उन्हें छुट्टी पर भेजती है। आईपीएस शत्रुजीत कपूर अपने करियर के सबसे मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं। सीबीआई में काम कर चुके शत्रुजीत कपूर अलग अंदाज के अधिकारी हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल का बेहद विश्वासपात्र अफसर माना जाता है अब देखना यह है कि वाई पूरन कुमार सरकार पर मुश्किल में घिरी नायब सैनी सरकार क्या निर्णय लेती है? ऐसे में जब वाई पूरन कुमार ने चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी समेत 15 अफसरों को कठघरे में खड़ा किया है तब राजेश खुल्लर और मो. अकील ऐसे नाम हैं, जिन पर कोई छींटा नहीं पड़ा है। मोहम्मद अकील अभी कमांडेंट जनरल, होमगार्ड एंड सिविल डिफेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, हालांकि उनके रिटायरमेंट 31 दिसंबर 2025 को है। चर्चा है कि अगले अगर शत्रुजीत कपूर छुट्टी पर जाते हैं तो अकील कम से कम 75 दिनों तक कार्यभार संभाल सकते हैं। इस दौरान सरकार इस मामले में सुलझा सकती है। अकील का नाम ऐसा है जिस पर शायद ही पूरन कुमार के परिवार को आपत्ति हो।