नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो जाएगी। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों के ऊपर स्थित, माता वैष्णो देवी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। मंदिर प्रशासन तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयारी में लगा हुआ है। बता दें, नवरात्रि के दौरान, वैष्णो देवी में तीर्थयात्रियों की भीड़ आम दिनों से ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप भी माता रानी के दर्शन करने जा रहे हैं, तो वहां होने वाले स्कैम के बारे में जान लीजिए, क्योंकि भीड़ के दौरान ही फ्रॉड लोग अपना काम शुरू कर देते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो जाएगी। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों के ऊपर स्थित, माता वैष्णो देवी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। मंदिर प्रशासन तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयारी में लगा हुआ है। बता दें, नवरात्रि के दौरान, वैष्णो देवी में तीर्थयात्रियों की भीड़ आम दिनों से ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप भी माता रानी के दर्शन करने जा रहे हैं, तो वहां होने वाले स्कैम के बारे में जान लीजिए, क्योंकि भीड़ के दौरान ही फ्रॉड लोग अपना काम शुरू कर देते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
स्कैम करने वाले लोगों में होटल/कैब ड्राइवर शामिल होते हैं। ये लोग उन तीर्थयात्रियों को टारगेट करते हैं, जो पहली बार मां वैष्णो देवी के दर्शन करने आए हैं। जब आप इनके कैब में बैठेंगे, तो वो आपको कहेंगे कि फलां जगह से चुनरी और पूजा के सामान खरीद लो, आगे दुकान नहीं है। ऐसे में यहां आपको कम कीमत का सामान चार गुना महंगा बेचा जाएगा।एक शख्स ने बताया चुनरी और तीन चांदी की वस्तुओं के लिए 3100 रुपए चुकाने पड़े थे। आगे बढ़ने पर पता चला कि कीमत केवल चुनरी की 300 से 400 रुपए और चांदी की वस्तुओं की 200-250 रुपए थी। इसके बाद होटल/कैब ड्राइवर का पूरा खेल समझ आ गया था।
वैष्णो देवी मंदिर में चढ़ाई के दौरान बीच-बीच में कई खाने-पीने के छोटे होटल और रेस्तरां पड़ते हैं, ऐसे में जब आप यहां आराम करने और खाने-पीने रुकते हैं, तो यहां का स्टाफ आपको लूटने के लिए तैयार बैठा रहता है। दरअसल यहां जब कोई खाना ऑर्डर करता है, तो प्रति प्लेट पर 50 रुपए जोड़ दिए जाते हैं। इसलिए हमारी सलाह कि जब आप यहां किसी होटल और रेस्तरां में खाना खाएं, तो पहले खाने की कीमत पूछ लें।
बेस कैंप कटरा से माता का दरबार जिसे ‘भवन’ कहा जाता है, वहां तक पहुंचने के लिए करीब 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। ऐसे में यहां घोड़ा, खच्चर, पिट्ठू या पालकी की सवारी की सुविधा भी दी जाती है। सुविधाएं फ्री नहीं है, इसके लिए आपको पैसे देने पड़ते हैं।
जब आप इनमें से किसी एक को एक निर्धारित कीमत पर बुक करते हैं तो उसके बाद भी घोड़ा, खच्चर, पिट्ठू या पालकी की सवारी के मालिक आपसे घोड़ा, खच्चर के खाने- पीने के लिए पैसे की मांग करते हैं। इसलिए इन्हें बुक करने से पहले सभी बातों को पहले क्लियर कर लें, ताकि बाद में आप ठगे न जा सके।