Haryana में लोगों को मिल सकता है मेडिकल नेग्लिजेंस कमेटी के फैसले को चुनौती देने का अधिकार

Parmod Kumar

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गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस मामले में अपीलेंट अथॉरिटी तय करने को प्रक्रिया शुरू की है। मानना है कि जिस समय नेग्लिजेंस बोर्ड का गठन हुआ उसी समय अपीलेंट अथॉरिटी भी बनाई जानी चाहिए थी।

Haryana minister Anil Vij tests Covid positive for the second time | Cities News,The Indian Express

हरियाणा के अंबाला में मेडिकल नेग्लिजेंस कमेटी के फैसले को कुछ समय बाद लोग चुनौती भी दे सकेंगे। इसके लिए गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री विज की कोशिश है कि एक अपीलेंट अथॉरिटी हो जहां लोग नेग्लीजेंस कमेटी के फैसले को लेकर अपील कर सकें। इसके लिए उन्होंने पत्र लिखने की बात भी कही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेडिकल नेग्लिजेंस बोर्ड तो पहले ही गठित किए जा चुके हैं, जो सक्रियता से कार्य भी कर रहे हैं। इस बोर्ड के तहत जांच के लिए गठित कमेटियां चिकित्सकीय मामलों से जुड़ी सुनवाई भी करती हैं। मगर कई मामलों में देखा गया है कि पीड़ित बोर्ड की जांच के बाद ही संतुष्ट नहीं होता है। ऐसे में उसे अपील करने का अधिकार अभी तक नहीं दिया गया है।

बोर्ड के गठन के समय अपीलेंट अथॉरिटी नहीं बनाई
जिस समय नेग्लिजेंस बोर्ड का गठन हुआ उसी समय अपीलेंट अथॉरिटी भी बनाई जानी चाहिए थी। ताकि लोगों को आगे अपील करने का मौका मिले। मगर इस पर अधिक गौर नहीं किया गया। अभी तक बोर्ड के फैसले के बाद पीड़ितों के पास सीधे कोर्ट जाने को मजबूर होना पड़ता है। कई मामलों में तो बोर्ड के फैसले के बाद पीड़ित कोर्ट की शरण में भी नहीं जा पाते हैं। ऐसे में कोर्ट जाने से पहले एक अपीलेंट अथॉरिटी की काफी जरूरत है इसी कारण से गृहमंत्री ने अपीलेंट अथॉरिटी के लिए प्रक्रिया शुरू की है।

पीड़ित कहते हैं कि सरकार मान्यता दे तो बात बन जाएंगी
पिछले दिनों जनता दरबार में एक ऐसे ही मामले में पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से गुजारिश की कि सरकार चाहे तो अपने विशेषज्ञों से दोबारा से मामले की जांच करा सकती है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह रोहतक पीजीआई से मामले की जांच तो करा देंगे मगर पीड़ित दोबारा हुई जांच रिपोर्ट को बाद में कोर्ट में लेकर जाता है तो इस जांच को कोर्ट मान्यता नहीं देगा। क्योंकि बोर्ड का फैसला ही अंतिम फैसला होता है।