हरियाणा में MSP पर खरीफ फसलों की खरीद 3 अक्टूबर से हो रही है, लेकिन बाजरे की खरीद शुरू नहीं हुई।

Parmod Kumar

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हरियाणा में 3 अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीफ फसलों की खरीद हो रही है. हालांकि अभी तक बाजरे की खरीद शुरू नहीं हुई है और किसान औने-पौने दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं. हरियाणा में किसान बड़े पैमाने पर बाजरे का उत्पादन करते हैं और यह राज्य में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है. हालांकि सरकार बाजरे की खेती को कम करने के लिए किसानों से अपील कर रही है. बीते खरीफ मार्केटिंग सीजन में हरियाणा में 75,000 टन बाजरे की सरकारी खरीद हुई थी.

एमएसपी पर खरीद शुरू हुए 5 दिन हो गए हैं. लेकिन हरियाणा सरकार की तरफ से बाजरे की खरीद को लेकर अभी तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. इससे किसान काफी परेशान हैं. साथ ही किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर सरकारी खरीद नहीं हुई तो उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ेगा. राज्य में बाजरा के अलावा अभी मूंग की भी सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है.

12-1400 रुपए क्विंटल बेचने को मजबूर हैं किसान

राज्य के अलग-अलग मंडियों में किसान बड़ी मात्रा में बाजरा लेकर पहुंच रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई निर्णय नहीं लिए जाने के कारण उन्हें एमएसपी से काफी कम दर पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है. हिसार की नई अनाज मंडी में 700 क्विंटल से ज्यादा बाजरा लेकर पहुंचे किसानों ने बताया कि सरकार ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपए तय किया है. लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने के कारण हमने 1255 रुपए से लेकर 1493 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव पर अपनी उपज बेची है.

बाजरा की खरीद शुरू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 10 अक्टूबर को रेवाड़ी में पंचायत करने की तैयारी कर रहे हैं. हरियाणा में 1 अक्टूबर से ही बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होनी थी. इसी को देखते हुए सरकार ने 28 सितंबर को सरकार ने बाजरा को भावांतर भरपायी योजना के अंतर्गत शामिल करने का ऐलान किया था.

कुल उपज का 25 प्रतिशत ही खरीद करेगी सरकार

इस योजना के तहत एमएसपी की बजाय बाजार मूल्य पर बाजरा बेचने वाले किसानों को 600 रुपए प्रति क्विंटल अलग से देने का निर्णय हुआ था. इस बार हरियाणा के किसान अपनी उपज का मात्र 25 प्रतिशत बाजरा ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच पाएंगे. बाकी के उपज को उन्हें औसत बाजार मूल्य पर बेचना होगा. किसानों को ज्यादा नुकसान न हो, इसी वजह से इस फसल को भी भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया गया है.