हरियाणा उन राज्यों में शामिल है जहां किसान पानी की कमी और बड़े पैमाने जलभराव दोनों का सामना कर रहे हैं. सरकार ने उनकी इन समस्याओं से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. बाढ़ नियंत्रण एवं सूखा राहत बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस वर्ष बरसात के पानी को दोबारा उपयोग में लाने के लिए ज्यादा योजनाओं के क्रियान्वन पर जोर दिया गया है. इससे बाढ़ की स्थिति से निपटने के साथ-साथ ग्राउंड वाटर रिजार्जिंग व सूखे क्षेत्रों में इस पानी का सदुपयोग किया जा सकेगा. इसके लिए सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के तहत 320 नई योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है. जिसके तहत लगभग 494 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. जिससे किसानों को फायदा होगा.
बोर्ड की 53वीं बैठक में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला एवं कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में मई महीने के दौरान बाढ़ नियंत्रण एवं सूखा राहत बोर्ड की बैठक होती थी. वर्तमान सरकार ने इस बैठक को साल में जनवरी व मई महीने में दो बार करने का निर्णय लिया है, ताकि मई महीने के दौरान किए गए कार्यों की बारिश से पहले समीक्षा की जा सके. उन्होंने कहा कि खेतों में लगने वाले पानी की निकासी व उसके दोबारा उपयोग के लिए 221 करोड़ रुपये की योजनाएं तैयार की गई हैं.
जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए विशेष स्कीम
सीएम ने कहा कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष क्रियान्वित योजनाओं का फायदा यमुना क्षेत्र में अब देखने को मिला है. पहली बार बारिश के दिनों में यमुना के क्षेत्र में बाढ़ का पानी नहीं भरा. उन्होंने कहा कि जल भराव से फसलों में नुकसान होने से भिवानी, रोहतक, झज्जर, हिसार व सोनीपत जैसे जिलों में 650 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना है. इसे ध्यान में रखते हुए अब जिन क्षेत्रों में हर वर्ष जल भराव की समस्या रहती है, उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से योजना बनाई जा रही हैं. इसके अलावा अम्बाला व बरवाला शहर को जलभराव से मुक्त करने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग की 45 करोड़ रुपये की दो परियोजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की गई है.
खत्म होगी वाटर लॉगिंग की समस्या
मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष 1 लाख एकड़ भूमि से वाटर लॉगिंग की समस्या खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए प्रभावित किसानों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. किसानों को केवल 20 प्रतिशत खर्च की राशि देनी होगी, शेष 80 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा खर्च की जाएगी. एक लाख एकड़ भूमि से वाटर लॉगिंग खत्म होने के बाद भविष्य में पूरे प्रदेश की जमीन को वाटर लॉगिंग से मुक्त किया जाएगा.
प्रदेश भर के तालाबों में करवाई जाएगी खुदाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि तालाबों के लगातार पानी से भरे रहने के कारण पानी की रिचार्जिंग कम हो जाती है. ऐसे में तालाबों को साल में एक बार पूरी तरह खाली करवाना चाहिए और उसकी खुदाई भी करवानी चाहिए. इसके लिए पंचायत विभाग द्वारा बड़ी योजना तैयार की जा रही है, जिसके तहत तालाबों को एक बार खाली करने और उनकी मिट्टी निकालने का कार्य किया जाएगा. तालाब (Pond) साफ होंगे तो पानी की रिचार्जिंग भी होगी और वर्षा होने पर गांवों में जल भराव की समस्या भी नहीं पैदा होगी.
किन योजनाओं पर कितनी रकम
>>बारिश के पानी के फिर से उपयोग के लिए 80 योजनाओं पर करीब 144 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
>>आबादी प्रोटेक्शन श्रेणी की 46 योजनाओं पर 58.92 करोड़ रुपये.
>>प्रोटेक्शन आफ एग्रीकल्चर लैंड श्रेणी में 66 योजनाओं पर 79.21 करोड़ रुपये.
>>डीवाटरिंग मशीनरी श्रेणी में 45 योजनाओं पर 32.36 करोड़ रुपये मंजूर.
>>रिक्लेमेशन आफ लैंड श्रेणी की 20 योजनाओं पर 32.77 करोड़ रुपये की राशि मंजूर.
>>अटल भूजल योजना के तहत 26 योजनाओं पर 77.05 करोड़ रुपये.
>>रिकंस्ट्रक्शन, रिनोवेशन आफ स्ट्रक्चर की 37 योजनाओं पर 69.55 करोड़ रुपये खर्च होंगे.