खरीफ फसलों में धान, मोटे अनाज, तिलहन तथा कपास की बुवाई पिछले साल की समान अवधि से कम क्षेत्र में हुई खेती तो दलहन के एरिया में मामूली बढ़ोतरी।

Parmod Kumar

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धान की बुवाई 2021-22 (जुलाई-जून) के फसल वर्ष के खरीफ सत्र में अब तक एक साल पहले की समान अवधि से मामूली घटकर 349.24 लाख हेक्टेयर तक हुई है. कृषि मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले फसल वर्ष की समान अवधि में धान का बुवाई क्षेत्रफल 351.52 लाख हेक्टेयर था. दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश के साथ खरीफ की बुवाई रफ्तार पकड़ती है. एक जून से शुरू हुए चालू सत्र में बारिश औसत से छह प्रतिशत कम रही है.

आंकड़ों के अनुसार, 13 अगस्त तक किसानों ने 997 लाख हेक्टेयर में खरीफ या गर्मियों में की जाने वाली फसल की बुवाई की है. यह एक साल पहले की समान अवधि के 1,015.15 लाख हेक्टेयर के आंकड़े से कुछ कम है. खरीफ फसलों में धान, मोटे अनाज, तिलहन तथा कपास की बुवाई पिछले साल की समान अवधि से कम है. तिलहन की बुवाई अब तक 180.14 लाख हेक्टेयर हुई है जो पिछले साल इसी अवधि में 185.45 लाख हेक्टेयर थी.

मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र भी घटा है

इसी तरह मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र घटकर 163.04 लाख हेक्टेयर रहा है, जो एक साल पहले समान अवधि में 167 लाख हेक्टेयर था. कपास का बुवाई क्षेत्र 125.48 लाख हेक्टेयर से घटकर 116.17 लाख हेक्टेयर रहा है. वहीं, दलहन का बुवाई क्षेत्र मामूली बढ़कर 126.98 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो एक साल पहले इसी अवधि में 125.06 लाख हेक्टेयर था. गन्ने का बुवाई क्षेत्रफल मामूली बढ़त के साथ 54.52 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 53.69 लाख हेक्टेयर रहा था.

इससे पहले बुधवार को क्रिसिल रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि अनियमित बारिश के कारण इस वर्ष खरीफ फसलों की बुवाई में कमी आ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 अगस्त तक कुल बुवाई में साल दर साल के आधार पर 2 प्रतिशत की कमी आई है.

मॉनसून के असामान्य वितरण का खेती पर पड़ा असर

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) 12 जुलाई तक सात प्रतिशत कम था, लेकिन बाद में मॉनसून ने तेजी पकड़ी और अब 8 अगस्त तक एलपीए घटकर मात्रा 4 प्रतिशत रह गया है. हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि शेष बचे मौसम में मॉनसून सामान्य रहेगा.

बीच में मॉनसून थम गया था लेकिन 13 जुलाई से इसने रफ्तार पकड़ी और अच्छी बारिश हुई. इस वजह से 8 अगस्त तक एलपीए से सिर्फ 2 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई. वहीं उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपिय भारत में मॉनसूनी बारिश का एलपीए 11 और 12 प्रतिशत अधिक था. वहीं मध्य और पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में क्रमश: 4 प्रतिशत और 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इसका असर खरीफ फसलों की बुवाई पर देखने को मिल रहा है.