पंजाब की राजनीति में इस वक्त नवजोत सिंह सिद्धू सबसे अधिक चर्चित नेताओं में शुमार हो चुके हैं। पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनका विवाद गहराता ही जा रहा है। सिद्धू की नाराजगी और बगावती अंदाज को देखते हुए कांग्रेस की तरफ से उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का संकेत दिया गया। हालांकि सिद्धू को खुश करने की इस कवायद से कैप्टन का नाराजगी बढ़ गई है। इन सब उठापटक के बीच सिद्धू आज राजधानी दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत भी इस दौरान बैठक में मौजूद रहेंगे। सिद्धू इससे पहले 30 जून को दिल्ली आए थे और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। वहीं कैप्टन अमरिंदर भी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं।
नए फॉर्म्युले से बिगड़ती दिखी बात
कैप्टन और सिद्धू के बीच तनातनी को लेकर कांग्रेस की तरफ से बड़ा फैसला लिया जा सकता है। दिग्गज नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस अंतर्कलह को खत्म करने का फॉर्म्युला दिया था। इसके तहत कैप्टन को सीएम पद पर बने रहने के साथ ही सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का चीफ बनाए जाने का संकेत दिया गया था। रावत के इस बयान के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कैप्टन और सिद्धू के बीच चल रही जंग पर विराम लग जाएगा। लेकिन इससे बात और बिगड़ती दिखाई दे रही है।
उड़ने लगी कैप्टन के इस्तीफे की अटकलें
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की बात सामने आने के बाद से अमरिंदर सिंह नाराज हो गए और उनके इस्तीफे की अटकलें भी लगने लगी। हालांकि पंजाब के सीएम के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे की मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन ने न तो इस्तीफा दिया है और न ही ऐसा करने की पेशकश की है।
बीते दिनों सिद्धू ने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर विरोधी खेमे के साथ बैठक की थी। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आवास पर हुई बैठक में मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखविंदर सिंह सरकारिया, चरणजीत सिंह चन्नी और 6 विधायक शामिल थे। वहीं दूसरी तरफ कैप्टन के वफादार सांसदों और विधायकों ने मोहाली स्थित सीएम के फार्महाउस में मुलाकात की थी।कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती
कांग्रेस की एक बड़ी चुनौती पंजाब में अपनी सत्ता बचाए रखना है। पंजाब के आंतरिक मतभेदों पर हाल ही में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी, पंजाब प्रभारी हरीश रावत और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच बैठक हुई थी। पार्टी को लगता है कि पिछले एक डेढ़ महीने से चल रही प्रदेश में खींचतान की वजह से वहां लोगों के बीच पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है।
मध्यस्थता के लिए PK की हुई एंट्री
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में मतभेद को समाप्त करने के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर मध्यस्थता कर रहे हैं। नए फॉर्म्युले के अनुसार, पंजाब में पार्टी के दो वर्किंग प्रेसिडेंट बनाने पर भी काम किया जा रहा है। इन कार्यकारी अध्यक्षों को हिंदू एवं दलित समुदाय के नेताओं में से चुना जाएगा। पंजाब में चुनाव से पहले संगठन को साधने की रणनीति में कैप्टन सरकार की कैबिनेट का विस्तार भी हो सकता है। इसके तहत कुछ नए चेहरे भी सरकार में शामिल हो सकते हैं।