कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में आंदोलन कर रही किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने अनजाने में एक अनूठा रिकार्ड बना दिया है। 24 सितंबर को जंडियाला गुरु के नजदीक गांव देवीदासपुर के अमृतसर-दिल्ली रेल ट्रैक पर धरने पर बैठे कमेटी सदस्य 169 दिन बाद ट्रैक से हट गए हैं। कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर की अगुवाई में किसानों ने 24 सितंबर को कृषि कानूनों के विरुद्ध रेल रोको प्रदर्शन शुरू किया था। कमेटी की कोर कमेटी की एक बैठक बुधवार देर रात धरना-प्रदर्शन स्थल पर आयोजित की गई। इस बैठक में फैसला लिया गया कि गेहूं की कटाई और आगामी धान की फसल की बुआई तक किसान-मजदूर खेतों में व्यस्त रहेंगें इसलिए रेल रोको प्रदर्शन इस समय के लिए वापस ले लिया जाए। कमेटी के राज्य स्तरीय नेताओं का कहना था कि फसल की कटाई और उसके मंडियों तक पहुंचने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की जरूरत है। इसलिए दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ गए किसानों के परिजनों को भी वापस बुलाया जाएगा। किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी अब सिंघु बार्डर पर लगे धरने को मजबूत बनाने के लिए काम करेगी। 20 मार्च को कमेटी के सदस्यों का एक जत्था तरनतारन से सिंघु बार्डर के लिए रवाना होगा। कमेटी के नेता सविंदर सिंह चुताला ने कहा कि जंडियाला गुरु के रेल ट्रैक पर कृषि कानूनों के विरुद्ध लगाया गया धरना अब जन आंदोलन बन चुका है। इस आंदोलन में समाज के हर वर्ग ने अपनी भागीदारी की है। कमेटी के नेता सविंदर सिंह चुताला ने दोहराया कि नए कृषि कानून स्वीकार नहीं किए जाएंगे। कृषि कानून रद्द करवाने के लिए लाखों किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर धरना देकर अपनी ताकत दिखाई है। इस आंदोलन को तेज करने के लिए गावों में लोगों को लामबंद किया जाएगा। 169 दिन बाद जंडियाला गुरु के रेल ट्रैक से धरना प्रदर्शन उठाने की घोषणा के बाद रेल प्रशासन को भी रहत मिली है। 169 दिनों से अमृतसर-दिल्ली ट्रैक पर चलने वाली सभी गाड़ियां वाया तरनतारन होकर अपने गंतव्य तक पहुंच रही थी। इससे रेलवे को जहां आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा था, वहीं यात्रियों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। किसानों द्वारा रोके गए ट्रैक के कारन कई गाड़ियां भी प्रभावित हुईं थी।