पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं मे बढ़ोतरी, धुएं से घुट रहा दम

Parmod Kumar

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राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारतीय राज्यों में प्रदूषण (Air Pollution) से हालात खराब होते जा रहे हैं. दिल्ली में तो हवा जहरीली होती जा रही है. इसके लेकर किसानों का कहना है कि आग लगने के कुछ सेकंड बाद ही धुंआ हमारे फेफड़ों में जाता है, दूसरों के पास तो कई घंटों बाद पहुंचता है. हमें भी चिंता है लेकिन हमारी मजबूरी है.किसान हरदेव सिंह बताते हैं कि पराली जलाना (Stubble Burning) उनकी मजबूरी है. वो कहते हैं, ‘इसको न तो हम खेत में इकट्ठा कर सकते हैं और न हमारे पास इतनी जगह है कि हम इसको कहीं रख लें और न ही हमारे पास कोई साधन है या पैसा है कि हम इसको मिट्टी में मिला दें.’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इस सिलसिले में दिल्ली के पास राज्य के दक्षिणी जिलों पटियाला, संगरूर, बरनाला और बठिंडा की यात्रा की गई, उस दौरान  संगरूर के तुंगन गांव में 24 वर्षीय गगनदीप शर्मा  कहते हैं, मैं अपने खेत की जमीन को जलता हुआ देखता है. इस साल बेमौसम बारिश ने धान की फसल में देरी की.’ गगनदीप आगे कहते हैं रबी की फसल की तैयारी के लिए आमतौर पर साल के इस समय तक खेतों को साफ कर दिया जाता है.दोपहर से ही खेतों में आग लग जाती है. इतनी कि सूरज मुश्किल से दिखाई देता है, क्या करें ये हमारी मजबूरी है.’

इस सीजन में पराली जलाने की घटनाए 9 हजार के पार

वहीं संगरूर के एक अन्य किसान कलविंदर सिंह कहते हैं, प्रणाली महंगी है, इसलिए छोटे किसान जलाने का सहारा लेते हैं. खेतों को मैन्युअल रूप से साफ करने के लिए श्रम की लागत 5,000-6,000 रुपये प्रति एकड़ हो सकती है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव कृणेश गर्ग के अनुसार, इस सीजन में पराली जलाने की 9,343 घटनाएं हुईं और कुल पर्यावरण मुआवजे की राशि 2,62,52,500 रुपये लगाई गई है.पटियाला के बरसात गांव के किसान हरमेल सिंह कहते हैं कि अगर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अन्य फसलें खरीदती है, तो किसान पानी की कमी वाले धान के बजाय इनकी बुवाई करेंगे.वे बताते हैं कि अवशेष जलाने से मिट्टी से “अच्छे” जीव भी नष्ट हो जाते हैं.

वहीं उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि किसानों द्वारा पराली जलाए  जाने पर बगैर किसी वैज्ञानिक और तथ्यात्मक आधार के ही ‘हल्ला‘ मचाया जा रहा है. न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के वायु प्रदूषण में पराली जलाए जाने का योगदान मात्र 10 प्रतिशत है. न्यायालय ने केंद्र को प्रदूषण से निपटने के लिए मंगलवार को एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया. न्यायालय ने निर्माण, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा एवं वाहनों की आवाजाही को प्रदूषण के बड़े कारण बताया और केंद्र से कहा कि वह अनावश्यक गतिविधियों को रोकने और कर्मियों द्वारा घर से काम करने जैसे कदम उठाए.