सरकार-सरपंच टकराव के बीच सीएमओ के अधिकारियों ने कमान संभाली। खुफिया विभाग ने सभी जिलों के पढ़े लिखे सरपंचों से बात कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री मनोहर लाल लेंगे।
हरियाणा में ई-टेंडरिंग को लेकर सरपंचों और सरकार के बीच बढ़ते टकराव को खत्म करने की कमान मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने संभाल ली है। खुफिया विभाग हर जिले के एक-एक सरपंच से नई व्यवस्था को लेकर फीडबैक लिया है। साथ ही सुझाव भी मांगें हैं कि आखिरकार विरोध कहां पर खत्म हो सकता है सरपंचों से बातचीत के आधार पर अधिकारियों ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। अधिकतर सरपंचों ने राय दी है कि बिना टेंडर के विकास कार्यों की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर दिया जाए तो आंदोलन खत्म हो सकता है। अधिकारियों ने समीक्षा कर ली है और अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यह रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उम्मीद है कि सरकार इस सीमा को दो से बढ़ाकर पांच लाख तक कर सकती है।
नई व्यवस्था के तहत प्रदेश सरकार ने पंचायतों में 2 लाख रुपये तक के कार्य बिना टेंडर के कराने की मंजूरी दी है। इससे अधिक राशि के विकास कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग करानी होगी। नई पंचायतें इसी का विरोध कर रही हैं।सरपंचों का कहना है कि उनको पहले की तरह 25 लाख रुपये तक बिना टेंडर की वित्तीय शक्तियां दी जाएं। इससे ऊपर की राशि के ई-टेंडर किए जाएं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली कई बार साफ कर चुके हैं कि सरकार ई-टेंडरिंग के फैसले से पीछे नहीं हटेगी।उधर, सरपंच भी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों ने पंचायत विभाग के महानिदेशक के साथ बैठक कर नए प्रस्तावों की जानकारी ली थी। साथ ही खुफिया विभाग ने सभी जिलों से सरपंचों से नई और पुरानी प्रणाली पर बात करके रिपोर्ट तैयार की है।नए और पढ़े लिखे सरपंचों ने सहमति जताई है कि तत्काल कार्य कराने के लिए टेंडर प्रणाली लंबी है और बिना टेंडर के दो लाख रुपये की राशि काफी कम है। अगर सरकार इसे 10 लाख रुपये तक करती है तो बीच का रास्ता निकल सकता है।