हरियाणा में ई-टेंडरिंग को लेकर सरपंचों और सरकार के बीच बढ़ते टकराव

Parmod Kumar

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सरकार-सरपंच टकराव के बीच सीएमओ के अधिकारियों ने कमान संभाली। खुफिया विभाग ने सभी जिलों के पढ़े लिखे सरपंचों से बात कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री मनोहर लाल लेंगे।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल।

हरियाणा में ई-टेंडरिंग को लेकर सरपंचों और सरकार के बीच बढ़ते टकराव को खत्म करने की कमान मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने संभाल ली है। खुफिया विभाग हर जिले के एक-एक सरपंच से नई व्यवस्था को लेकर फीडबैक लिया है। साथ ही सुझाव भी मांगें हैं कि आखिरकार विरोध कहां पर खत्म हो सकता है सरपंचों से बातचीत के आधार पर अधिकारियों ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। अधिकतर सरपंचों ने राय दी है कि बिना टेंडर के विकास कार्यों की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर दिया जाए तो आंदोलन खत्म हो सकता है। अधिकारियों ने समीक्षा कर ली है और अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यह रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उम्मीद है कि सरकार इस सीमा को दो से बढ़ाकर पांच लाख तक कर सकती है।

नई व्यवस्था के तहत प्रदेश सरकार ने पंचायतों में 2 लाख रुपये तक के कार्य बिना टेंडर के कराने की मंजूरी दी है। इससे अधिक राशि के विकास कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग करानी होगी। नई पंचायतें इसी का विरोध कर रही हैं।सरपंचों का कहना है कि उनको पहले की तरह 25 लाख रुपये तक बिना टेंडर की वित्तीय शक्तियां दी जाएं। इससे ऊपर की राशि के ई-टेंडर किए जाएं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली कई बार साफ कर चुके हैं कि सरकार ई-टेंडरिंग के फैसले से पीछे नहीं हटेगी।उधर, सरपंच भी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों ने पंचायत विभाग के महानिदेशक के साथ बैठक कर नए प्रस्तावों की जानकारी ली थी। साथ ही खुफिया विभाग ने सभी जिलों से सरपंचों से नई और पुरानी प्रणाली पर बात करके रिपोर्ट तैयार की है।नए और पढ़े लिखे सरपंचों ने सहमति जताई है कि तत्काल कार्य कराने के लिए टेंडर प्रणाली लंबी है और बिना टेंडर के दो लाख रुपये की राशि काफी कम है। अगर सरकार इसे 10 लाख रुपये तक करती है तो बीच का रास्ता निकल सकता है।

 

हिसार में पत्रकारों से बातचीत करते सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी
अब सत्ताधारी दल के विधायकों के आवास के बाहर देंगे धरना
राइट टू रिकॉल व ई-टेंडरिंग के खिलाफ और पंचायतों को पूरे अधिकार देने की मांग को लेकर आंदोलनरत सरपंचों ने सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। सरपंचों ने ब्लॉक कार्यालयों से उठकर भाजपा-जजपा के अलावा सरकार में शामिल निर्दलीय विधायकों के आवास पर धरना देने सहित कई फैसले लिए हैं।
सरपंच एसोसिएशन की राज्य कमेटी की बैठक रविवार को गांव गंगवा के ग्राम सचिवालय में हुई। बैठक के बाद एसोसिएशन के राज्य प्रधान रणबीर सिंह समैण ने कहा कि अपनी मांगों को जनता के बीच लेकर जाएंगे और सरकार की पोल खोलेंगे।
उन्होंने संविधान के 73वें संशोधन की 11वीं सूची के 29 नियम पूर्ण रूप से लागू करने, राइट टू रिकॉल विधायक, सांसद व मुख्यमंत्री पर भी लागू करने, ई टेंडरिंग पूर्ण रूप से बंद करना, फैमिली आईडी पूर्ण रूप से बंद करने, काटे गए सभी बीपीएल कार्ड दोबारा बनाने, 9 हजार बिजली की वजह से राशनकार्ड काटने की शर्त वापस लेने, मनरेगा की मजदूरी 600 रुपये करने और सरपंचों का मानदेय 30 हजार व पंचों का मानदेय पांच हजार रुपये करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी सरपंच सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे। सरपंचों ने एक आईटी सेल भी गठित की ताकि जनता तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सके। बैठक में 25 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया।