अगले वित्तीय वर्ष में 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी इंड‍ियन इकोनॉमी’

Parmod Kumar

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अगले वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था, मंदी के होंगे गंभीर नतीजे - India economy will grow at the rate of six percent in the nextमोदी सरकार के सुधारों के कारण भारत ऊंची व‍िकास दर की राह पर बना रहेगा. उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था के छह प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है. कुमार ने कहा कि उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था में आने वाली मंदी से भव‍िष्‍य में बड़े जोखिम सामने आएंगे. उन्होंने कहा, ‘सरकार ने पिछले आठ साल के दौरान जो सुधार किए हैं उनसे देश के पास ऊंची व‍िकास दर की राह पर बने रहने का अच्छा मौका है. हम 2023-24 में छह प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में सफल रहेंगे.’

GDP की व‍िकास दर 6.4 प्रतिशत रहेगी
कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के नीचे की तरफ जाने को लेकर कई जोखिम हैं. विशेषरूप से अनिश्चित वैश्‍व‍िक परिदृश्य इसका प्रमुख कारण है. उन्होंने कहा, ‘हमें इन चुनौतियों का सामना सावधानी से तैयार नीतिगत उपायों के जरिये निर्यात के प्रयासों को समर्थन देकर करना होगा. इसके अलावा हमें घरेलू के साथ विदेशी स्रोतों से निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाना होगा.’ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का अनुमान है कि 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की व‍िकास दर 6.4 प्रतिशत रहेगी. यह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुरूप ही है.

महंगाई दर पर न‍ियंत्रण करना होगा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्तीय वर्ष में वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है. ऊंची महंगाई दर को लेकर सवाल पर कुमार ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि महंगाई नियंत्रण में रहे. उन्होंने कहा, ‘साथ ही सर्दियों की अच्छी फसल खाद्य कीमतों को कम रखने में मदद करेगी.’

रिजर्व बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है. जनवरी में भारत की र‍िटेल महंगाई दर 6.52 प्रतिशत रही थी. चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे पर एक सवाल पर कुमार ने सुझाव दिया कि भारत को चीन के बाजार में अधिक अवसर और पहुंच के लिए उसके साथ फिर से जुड़ना चाहिए. ‘कई उत्पाद हैं जो हमारा देश चीन को अधिक मात्रा में निर्यात कर सकता है.