अमेरिका में शोषित और वंचितो की आवाज बनी भारत की बेटी क्षमा सावंत

Parmod Kumar

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अपने घर में काम करने वाली एक महिला के साथ हो रहे भेदभाव और जातिसूचक संबोधन की घटना ने छह साल की एक बच्ची के मन पर ऐसा असर डाला कि वह इस अन्याय के खिलाफ अपने दादा तक से भिड़ गई। हालांकि, उस वक्त घरवालों ने उसे चुप करा दिया। यह बात उसके जेहन में हमेशा के लिए जज्ब हो गई और वंचितों के हक की लड़ाई लड़ने के जज्बे की नींव पड़ गई। यह कहानी है भारत की बेटी क्षमा सावंत की, जिनकी पहल से अमेरिका का सिएटल शहर जाति और नस्ल आधारित भेदभाव पर रोक लगानेवाला पहला शहर बन गया है।

यह पहली बार है जब अमेरिका के किसी शहर ने जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ कानून बनाया है। जिस क्षमा सावंत ने इस ऐतिहासिक कानून को पारित करवाने में अगुवाई की है, वे खुद एक सवर्ण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य और समाजवादी विचारधारा की नेता व अर्थशास्त्री क्षमा सावंत ने इसको लेकर सदन के समक्ष एक प्रस्ताव रखा, जो एक के मुकाबले छह वोटों से पारित हो गया।

जातिगत भेदभाव को रोकने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है। क्षमा के मुताबिक, जातिगत भेदभाव अभी भी भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका सहित सभी दक्षिण एशियाई समाज झेल रहा है। भले ही अमेरिका में वंचितों के खिलाफ भेदभाव उस तरह नहीं दिखता है, जैसा कि दक्षिण एशिया में हर जगह दिखता है, लेकिन भेदभाव एक सच्चाई है।

अमेरिका के सिएटल में रहने वाली भारतीय मूल की क्षमा सावंत का जन्म 17 अक्तूबर 1973 को पुणे शहर में एक मध्यवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। उनका बचपन मुंंबई में बीता। उनकी मां इतिहास व भूगोल की शिक्षिका थीं। उनके पिता पेशे से सिविल इंजीनियर थे। परिवार के दूसरे लोग भी चिकित्सक, इंजीनियर और गणितज्ञ जैसे पेशे से जुड़े हुए थे। इसलिए परिवार में किसी विशेष विचारधारा का प्रभाव नहीं था।

बावजूद इसके सामाजिक भेदभाव को उन्हें बेहद करीब से महसूस किया और उसके खिलाफ लड़ाई भी लड़ी। क्षमा सावंत ने मुंबई से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करनेके बाद साल 1994 में मुंबई विश्वविद्यालय से कंप्यूटर सांइस में स्रातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद मुंबई में ही उन्होंने करीब डेढ़ साल तक साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। इसी बीच उनकी शादी हो गई।

शादी के बाद क्षमा अपने पति विवेक सावंत, जो माइक्रोसाफ्ट में इंजीनियर थे, के साथ अमेरिका चली गईं । गरीबी और सामाजिक व्यवस्था को समझने के लिए उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और साल 2003 में नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया। साल 2006 में वह सिएटल चली गर्इं और उसी साल सोशलिस्ट अल्टरनेटिव पार्टी से जुड़ गईं।

उन्होंने सिएटल सेंट्रल कम्युनिटी कालेज, सिएटल यूनिवर्सिटी और वाशिंगटन टैकोमा विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया। सोशलिस्ट अल्टरनेटिव पार्टी से जुड़कर उन्होंने अमेरिका में कई आंदोलनों का हिस्सा रहीं। साल 2012 में क्षमा ने राज्य विधानमंडल के लिए सोशलिस्ट वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, जिसमें 29 फीसद वोट लाकर सभी को चौंका दिया। वह 20,000 से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं। सिएटल नगर परिषद की सदस्य के रूप में उन्होंने श्रमिकों, युवाओं, दबे-कुचले और बेजुबानों की आवाज बनने का संकल्प लिया।