क्या अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है किसान आंदोलन, सिंघु बॉर्डर बयां कर रहा हकीकत

Parmod Kumar

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संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को किसान आंदोलन के चार महीना पूरा होने पर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक भारत बंद का एलान किया है। आम किसानों और साधारण जनता के रुख से लगता नहीं है कि यह बंद सफल हो पाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया है कि शुक्रवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक क्या बंद रहेगा और क्या नहीं? ऐसे में लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया है कि क्या किसान आंदोलन अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है? इसकी सच्चाई जाननी है कि आपको सिंघु के साथ-साथ टीकरी और यूपी बॉर्डर पर भी जाना होगा, जहां पर मुट्ठी पर किसान आंदोलनकारी रह गए हैं जागरण संवाददाता के मुताबिक, दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि प्रदर्शनकारियों के लिए हाल ही में लगाया गया बड़ा टेंट लोगों की संख्या कम होने की वजह से खाली पड़ा है। सैकड़ों लोग जिसमें आराम से रह सकते हैं वहां आठ-दस लोग ही बैठे हुए हैं। टेंट में कार व ट्रैक्टर खड़े कर जगह भरने की कोशिश की जा रही है। उधर सिंघु बॉर्डर-नरेला रोड पर खड़े कुछ ट्रैक्टर ट्रॉली वापस घर लौटने को तैयार हैं।

अभी और घटेगी सिंघु बॉर्डर पर किसानों की संख्या

दिल्ली में गेहूं की फसल कटनी शुरू हो गई है। पंजाब में भी कुछ दिनों में फसल पकने लगेगी। सिंघु बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों में जिसे वास्तव में अपने खेतों की चिंता होगी, वह जरूर अपनी फसल की कटाई करने जाएंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में इनकी संख्या और भी घट सकती है। इन दिनों में खेतों में ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है। इसलिए कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर भी इस दौरान वापस पंजाब जा सकते हैं।

वहीं, दिल्ली-यूपी सीमा पर गाजीपुर  बॉर्डर पर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर धरना जारी है। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने 26 मार्च को भारत बंद का भी एलान किया है। प्रदर्शनकारियों की ओर से कहा गया है कि यूपी गेट की सभी लेनों को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद किया गया है। बावजूद इसके यहां पर चंद लोग ही धरने पर हैं।

दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर रह रहे लोग परेशान

वहीं, कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन दिल्ली में नौकरी करने जाने वालों के गले की फांस बन गया है। दिल्ली से सटी सीमाओं को सील करने से लोगों को आवाजाही में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। केंद्र सरकार के साथ ग्यारह चरण की वार्ता विफल होने के बाद आंदोलनकारी एनएच-44 पर सिंघु बॉर्डर पर कई महीने से बैठे हैं। दिल्ली आवागमन करने वाले नौकरीपेशा केजीपी और केएमपी का सहारा ले रहे हैं लेकिन लोगों को घूमकर जाना पड़ता है।आंदोलन के कारण सिंघू बॉर्डर पिछले चार महीने से बद है जिसके कारण दिल्ली जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर रोज दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में जाना पड़ता है। घर से कोर्ट का रास्ता 25 किलोमीटर है लेकिन अब घूमकर गांवों से निकलकर जाना पड़ता है। यही 45 किलोमीटर पड़ता है। इससे गाड़ी का पेट्रोल भी पहले से दोगुना लगता है। दिल्ली के अलीपुर के स्कूल में रोजाना जाना-आना पड़ता है। बस सेवा बंद होने की वजह से आटो चालक भी पांच गुना से अधिक किराया वसूल रहे हैं। इसके कारण समय भी और किराया दोनों अधिक लग रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जल्द ही आंदोलनकारियों से बातचीत करके रास्ता खुलवाया जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके। रोहिणी कोर्ट में रोजाना प्रैक्टिस के लिए जाना पड़ता है। इस आंदोलन में रास्ते बंद होने के के कारण हर रोज लेट हो जाते हैं। न तो समय पर कोर्ट में पहुंच पाते हैं और न ही अपने घर आ पाते हैं। ऊपर से गाड़ी का ईंधन पर पहले से दोगुना लगता है।