केंद्रीय कृषि मंत्री बोले, MSP सरकार का एक प्रशासनिक निर्णय

Bhawana Gaba

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विधेयकों को लेकर मचे विपक्ष के हंगामे पर अपनी बात रखी। नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि इन विधेयकों के माध्यम से किसान नई तकनीक से जुड़ेगा। इसके कारण किसान अपनी उपज का सही मूल्य बुआई से पहले भी प्राप्त कर सकेगा। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा ‘देश में 50 वर्षों तक शासन करने वाले लोग पूछ रहे हैं कि हमने कृषि के बिलों में एमएसपी का प्रावधान क्यों नहीं किया। यदि एमएसपी के लिए एक कानून की आवश्यकता थी, तो उन्होंने (कांग्रेस) इसे 50 वर्षों में क्यो नहीं किया। एमएसपी सरकार का एक प्रशासनिक निर्णय है और यह जारी रहेगा।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर इन बिलों का विरोध कर रही है तो उसे पहले अपने घोषणा पत्र से मुकरने की घोषणा करनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने 2019 के अपने घोषणा पत्र में कहा कि एपीएमसी कानून को बदलेंगे, किसान के ट्रेड पर कोई टेक्स नहीं होगा और अंतरराज्यीय व्यापार को बढ़ावा देंगे। यही चीज बिल में उपलब्ध है। हम नए कृषि बिल के माध्यम से फसल के करार की बात करते हैं। हमारा विधेयक खेत का कॉन्ट्रेट करने के लिए नहीं है। खेत का मालिक और उपज का मालिक किसान है। लेकिन नए विधेयक से अब किसान को बुआई से पूर्व ही फसल के मूल्य की गारंटी मिल सकेगी।

बिल के प्रावधान किसान हितैषी

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष के किसी भी सदस्य ने बिल के किसी प्रावधान का विरोध नहीं किया। जो बिल में नहीं है, जो बिल में नहीं हो सकता, जिनका बिल से संबंध नहीं हो सकता, उसी पर विपक्षा का भाषण केंद्रित रहा। इससे ये सिद्ध होता है कि बिल के जो प्रावधान हैं वो किसान हितैषी हैं। कृषि मंत्री ने एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि एमएसपी भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है। ये निर्णय पहले भी था और आने वाले कल में भी रहेगा। खरीफ की एमएसपी हमने पहले घोषित कर दी है। अक्टूबर में खरीफ की फसल आने वाली है। उसकी खरीद की प्रक्रिया उपभोक्ता मंत्रालय करने जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि देश का कोई भी किसान आधी रात को भी अगर सरकार के किसी प्रतिनिधि से बिल पर चर्चा करना चाहता हो तो हम तैयार हैं, हमारी तरफ से पूरी विनम्रता के साथ किसानों को आमंत्रण है।