सिरसा। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा को पास करना आसान नहीं है। सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए अपने जीवन में कई त्याग करने पड़ते हैं। अग्रसेन कॉलोनी निवासी संजय गर्ग की बेटी कोमल गर्ग ने सोशल मीडिया, पारिवारिक कार्यक्रमों से दूरी बनाकर सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और तीसरे प्रयास में यूपीएससी में 221वां रैंक हासिल किया।
कोमल गर्ग ने बताया कि हर युवा का मन होता है कि वह प्रशासनिक क्षेत्र में आकर काम करे, ताकि देश का भला हो सके। वह हमेशा से अखबारों में पढ़ती थी कि आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका भ्रष्टाचार के खिलाफ कितना लड़ते हैं। यहीं से मुझे भी आईएएस बनने की प्रेरणा मिली। पिता संजय गर्ग, मां चंचल गर्ग, भाई विवेक गर्ग, बहन महिमा मुंद्रा व मेरी सहेली दीक्षा जैन का मुझे पूरा साथ मिला। मेरे पिता का सामान्य ज्ञान हमेशा अच्छा रहा है, क्योंकि वह समाचार पत्र पढ़ते रहते हैं, उनका पूरा सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि आगे जाकर मैं भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करूंगी और आम जनता को उनका हक दिलावाऊंगी। उन्होंने बताया कि मेरा विषय इंपावरमेंट एंड एजुकेशन रहा है और मैं इसी दिशा में काम करना चाहती हूं।
कोमल ने अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए कहा कि घर के अंदर ही ऑनलाइन कोचिंग ली। 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई की और सोशल मीडिया को बिल्कुल त्याग दिया। कोमल ने बताया कि उनका सोशल मीडिया पर अकाउंट भी है, लेकिन उन्होंने कभी भी अकाउंट अपडेट नहीं किए। पारिवारिक कार्यक्रमों को भी दरकिनार किया, क्योंकि इस बार मुझे यूपीएससी क्लीयर करना जरूरी था और भगवान ने मेरी सुन भी ली।
घर में हमेशा से रहा पढ़ाई का माहौल
कोमल गर्ग ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई महाराजा अग्रसेन स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली से स्नातक व स्नातकोत्तर इग्नू से की। कोमल इससे पहले नेट क्वालिफाइड भी हैं। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उनके पिता संजय गर्ग बीकॉम पास हैं और माता चंचल गर्ग इतिहास में एमए कर चुकी हैं। कोमल के घर में पढ़ाई का माहौल हमेशा से ही रहा है। इनकी बड़ी बहन महिमा मुंद्रा सीए हैं और छोटा भाई विवेक गर्ग एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। कोमल गर्ग पहले भी दो बार यूपीएससी को पेपर दे चुकी थी, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
मेरी बेटी कोमल ने जब ठान लिया था कि मुझे यूपीएससी क्लीयर करनी है, तो हमने उसको पूरी मदद करने की बात कही। दो बार तैयारी के बाद भले ही वह यूपीएससी क्रैक नहीं कर पाई हो, लेकिन हमने उसका हौसला बनाए रखा। इस बार पूरी उम्मीद थी कि वह यूपीएससी अवश्य क्लीयर करेगी। – संजय गर्ग, पिता।