अंकारा: पाकिस्तान और तुर्की के बीच बढ़ते सैन्य संबंध भारत के लिए संकट का सबब बनते जा रहे हैं। 21वीं सदी में भारत को पाकिस्तान और चीन का तो खतरा है ही, तुर्की भी एक बड़ी चुनौती बन रहा है। मुस्तफा कमाल अतातुर्क के तुर्की की स्थापना बाद अब रेसेप तैयप एर्दोगान देश के सबसे महत्वपूर्ण नेता बन चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एर्दोगान तानाशाही को बढ़ावा दे रहे हैं और दुनियाभर में राजनीतिक इस्लाम को बढ़ावा देने में जुट गए हैं। एर्दोगान खुद को इस्लामिक देशों का खलीफा बनाना चाहते हैं। तुर्की अपने इस वैचारिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने हथियारों के उद्योग को इस्तेमाल कर रहे हैं। तुर्की दुनिया में ड्रोन पावर हाउस के नाम जाना जाता है और यूक्रेन से लेकर नगर्नो कराबाख तक में तुर्की के ड्रोन कहर बरपा चुके हैं। तुर्की भारत के दुश्मन पाकिस्तान को किलर ड्रोन से लेकर घातक हथियारों की आपूर्ति कर रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2002 में जब एर्दोगान सत्ता में आए थे तब तुर्की का घरेलू उद्योग देश की रक्षा जरूरतों का 20 फीसदी पूरा करता था लेकिन आज तुर्की की सेना को 80 फीसदी हथियारों की सप्लाई स्वदेशी कंपनियां करने लगी हैं। तुर्की खुद से युद्धपोत बना लेता है और वह कान फाइटर जेट की टेस्टिंग कर रहा है जो पांचवीं पीढ़ी माना जाता है। माना जा रहा है कि तुर्की ने अमेरिकी एफ-35 जेट की तकनीक नकल करके इसे बनाया है। तुर्की ने इसे पाकिस्तान को भी ऑफर किया है। तुर्की की सबसे बड़ी उपलब्धि उसका बायरकतार TB2 हमलावर ड्रोन है जिसे एर्दोगान के दामाद सेलकूक बायरकतार की कंपनी बनाती है।
तुर्की 21वीं सदी का सऊदी बना
विशेषज्ञों के मुताबिक एर्दोगान तुर्की की नीतियों पर अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं और पार्टी से ज्यादा अपने परिवार के सदस्यों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। बायकर ही उनका परिवार है। तुर्की ने अलकायदा से लेकर अजरबैजान- पाकिस्तान तक को हथियारों की सप्लाई की है। अजरबैजान की सेना ने तुर्की के ड्रोन की मदद से आर्मेनिया की सेना को हराकर नगर्नो कराबाख पर कब्जा किया था। अब तुर्की की नजर अफ्रीका पर है जहां वह नए सैन्य बनाने की फिराक में है। अफ्रीका में तुर्की के ड्रोन तबाही मचा रहे हैं।
20वी सदी में जो सऊदी अरब ने किया अब वही 21वीं सदी में तुर्की कर रहा है। सऊदी ने यह पैसा देकर किया था, वहीं तुर्की इसे हथियारों का निर्यात करके कर रहा है। भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का सबब पाकिस्तान है जिसे तुर्की हथियारों से पाट रहा है। पाकिस्तान पहले से परमाणु हथियारों से लैस है और तुर्की के अत्याधुनिक हथियार और किलर ड्रोन इस संकट को बढ़ा रहे हैं। विशेष्ज्ञों का कहना है कि तुर्की जिस तरह से पाकिस्तान को हथियारों से सपोर्ट कर रहा है, ठीक उसी तरह से भारत को कुर्द विद्रोहियों को सपोर्ट करना चाहिए।
भारत करे कुर्द विद्रोहियों को सपोर्ट
हाल ही में कुर्दो ने तुर्की में बड़ा हमला बोला था, इसके बाद तुकी की सेना ने उनके ठिकानों पर हमला बोला था। तुर्की कुर्दों की कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानि पीकेके को आतंकी गुट करार देता है। कुर्द तुर्की से लेकर सीरिया तक फैले हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सुपरपावर बनने की राह पर है और उसे अपने सुरक्षा हितों का ध्यान रखते हुए कुर्दों का सपोर्ट करना चाहिए। तुर्की न केवल हथियारों बल्कि संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को खुलकर सपोर्ट करता है।