कृषि कानूनों को लेकर किसानों की बढ़ती नाराजगी और सरकार के साथ समझौता न होने के चलते हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन करने वाली जेजेपी की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. जेजेपी ने किसान मुद्दे पर अब बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जो खट्टर सरकार के लिए भी टेंशन का सबब बन गया है.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान झुकने को तैयार नहीं हैं. तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने अपने आंदोलन की धार को और भी तेज कर दिया है. किसानों की बढ़ती नाराजगी और सरकार के साथ समझौता न होने के चलते हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन करने वाली जेजेपी की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. जेजेपी ने किसान मुद्दे पर अब बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जो खट्टर सरकार के लिए भी टेंशन का सबब बन गया है, किसान अपनी मांगों से किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में हरियाणा में बीजेपी की सहयोगी दुष्यंत चौटाला जेजेपी में भी कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा में सरकार से अलग होने की मांग पार्टी और किसान संगठनों की ओर से तेज होने लगी है. दुष्यंत चौटाला ने हाल ही में किसान मुद्दे पर अपने पार्टी विधायकों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में पार्टी विधायकों से किसान आंदोलन का उनके क्षेत्र में असर, राज्यों को लोगों के रुख आदि के बारे में फीडबैक लिया गया.
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने उम्मीद जतायी कि किसान अब अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे, क्योंकि सरकार ने एमएसपी और अन्य मांगों पर लिखित में आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान समझेंगे कि जब केंद्र ने लिखित में आश्वासन दिया है तो यह उनके संघर्ष की जीत है. राज्य में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार से हटने के लिए विपक्ष और हरियाणा के कुछ किसानों की ओर से दबाव का सामना कर रहे चौटाला ने कहा कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खतरा होगा तो वह इस्तीफा दे देंगे. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि मैं सबसे पहले किसान हूं, क्या मैं इससे इनकार कर सकता हूं.
कांग्रेस बना रही जेजेपी पर दबाव
दरअसल, हरियाणा के कांग्रेस नेता और किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा से लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों आंदोलन के बीच पहुंचकर समर्थन दे रहे हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि दुर्भाग्य है कि किसानों को अपनी जायज मांग के लिए इतना लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है. इसके बावजूद किसानों के हौसले बुलंद हैं. वो देश किसान के साथ हैं, लेकिन जेपेपी सत्ता और कुर्सी के लिए किसानों के खिलाफ बीजेपी के साथ खड़ी है.
जेजेपी के विधायक किसानों के साथ
किसानों की बढ़ती नाराजगी के चलते जेजेपी के 10 विधायकों में से आधे किसान आंदोलन के साथ खड़े हैं. इनमें बरवाला से जोगीराम सिहाग, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह, नारनौंद से राम कुमार गौतम और जुलाना से अमरजीत ढांडा किसानों के समर्थन में हैं. जेजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक राम कुमार गौतम ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर केंद्र से अनुरोध करने के लिए एक प्रस्ताव लाने के जरिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी है. यही वजह है कि दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ गया है. हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जेजेपी के साथ हमारा गठबंधन मजबूत है. कहीं से भी कोई समस्या नहीं है. पिछले एक साल में हमने जो काम किया है, उससे अगले चार साल में विकास कार्यों में तेजी आएगी. हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार उन किसानों के साथ नरमी से पेश आएगी, जिन पर पिछले महीने हरियाणा पुलिस ने मामला दर्ज किया था. किसान हमारे अपने हैं, जो अपने होते हैं उनके साथ सारी चीजें ठीक होती हैं.
बता दें कि, हरियाणा में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सकी थी, लेकिन उसने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी 10 विधायकों के समर्थन से हरियाणा में सरकार बना ली. इसके अलावा 5 निर्दलीय विधायक भी साथ आए थे. जेजेपी को ग्रामीण इलाको में वोट मिला था जो किसान मजदूरों का वर्ग माना जा रहा है. किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं. वहीं, कांग्रेस के 31 विधायक हैं और उन्हें चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल हैं. इसके अलावा 1 इनेलो, 1 एचएलपी और दो निर्दलीय विधायक उनके साथ हैं. हालांकि, किसानों के मुद्दे पर जेजेपी के 6 विधायक जिस तरह से बागी रुख अपनाए हुए हैं. इस तरह से अब किसान आंदोलन की रफ्तार और तेजी होती है तो जेजेपी ही नहीं खट्टर सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा कह चुकी हैं कि किसानों के मुद्दे पर मनोहर लाल खट्टर सरकार की मनमानी और केंद्र की सख्ती के चलते हुए जेजेपी और निर्दलीय विधायक को सरकार से समर्थन वापस लेकर किसानों के साथ खड़े होने के लिए फैसला करना चाहिए.