नए कृषि कानूनों के खिलाफ 110 दिन से चल रहा किसान आंदोलन फिर सवालों के घेरे में है। किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने आंदोलन कर रहे संगठनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस आंदोलन को कांग्रेस फंडिंग कर रही है।
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने सोमवार को कहा कि 26 जनवरी को हमें मालूम पड़ा कि जितने भी संगठन सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे, ये सब कांग्रेस के खरीदे हुए और उसी के भेजे हुए थे। भानु ने कहा कि हमें मालूम पड़ा कि इन्होंने 26 जनवरी को पुलिस पर हमला किया। लाल किले पर दूसरा झंडा फहराया। उसी दिन हमने तय कर लिया कि हम इनके साथ नहीं रहेंगे और हम चले आए।
केंद्र से MSP पर कमेटी बनाने की अपील
उन्होंने केंद्र सरकार से बात कर समाधान निकालने की बात कही। भानु ने कहा कि हम केंद्र सरकार से MSP पर बातचीत के लिए किसानों की एक कमेटी बनाने को कहेंगे। किसानों की मांगे अब तक पूरी इसलिए नहीं हुई हैं, क्योंकि दूसरों के भेजे गए लोग इसे 4-5 साल तक और खींचना चाहते हैं।
लाल किला हिंसा के बाद संगठन ने वापस लिया था आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन से समर्थन वापस ले लिया था। भानु के अलावा भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) और भारतीय किसान यूनियन (एकता) भी अलग हो गए थे। दोनों संगठनों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद यह फैसला लिया था।