मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंगफली 7 जिलों (बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, सीकर एवं टोंक) के 24 खरीद केंद्रों पर एवं मूंग के 11 जिलों (अजमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, सीकर एवं टोंक) के 48 खरीद केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन सीमा को 20 प्रतिशत बढ़ा दिया है. किसान भाई मूंग के लिए 23 जनवरी तक एवं मूंगफली बेचने के लिए 5 फरवरी तक क्रय केंद्र या ई-मित्र केंद्रों पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. बिना रजिस्ट्रेशन सरकार फसल नहीं खरीदेगी.
सरकार को सोयाबीन क्यों नहीं बेच रहे किसान?
मंत्री ने बताया कि बाजार में सोयाबीन का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण किसान इस बार सरकार को इसे नहीं बेच रहे. बता दें कि केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 के लिए सोयाबीन का एमएसपी (Soybean MSP) 3950 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है. जबकि मार्केट में 6000 से 8000 रुपये क्विंटल तक का रेट मिल रहा है.
मूंग की गुणवत्ता प्रभावित, नहीं बदला मापदंड
सहकारिता मंत्री ने बताया कि इस वर्ष बेमौसम बारिश होने की वजह से मूंग की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. जिससे कई मंडियों में बदरंग व क्षतिग्रस्त मूंग की आवक अधिक है. इस पर केंद्र सरकार को मूंग के गुणवत्ता मापदंडों में क्षतिग्रस्त दानों की स्वीकार्य मात्रा 3 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत तक करके खरीद करने की अनुमति मांगी गई थी. केंद्र ने राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार न कर मूंग की निर्धारित गुणवत्ता मापदंडों के अनुरूप ही खरीद करने के निर्देश दिए हैं.
कितने किसानों से खरीदी गई फसल?
राजफेड की प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि 21,900 किसानों से 41,561 मीट्रिक टन मूंग खरीदी गई है. जिसकी राशि लगभग 302 करोड़ रुपये है. इसी तरह 14,814 किसानों से 33,647 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद की गई है. जिसकी राशि 187 करोड़ रुपये है. किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए दलहन-तिलहन 308 करोड़ रुपये के हैं. अब तक 23,162 किसानों को उनके खाते में ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे दलहन एवं तिलहन की खरीद केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही करें.