अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव बजरंग गर्ग ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पीआर धान की सरकारी खरीद (Paddy procurement) बंद कर दी है. किसानों (Farmers) व आढ़तियों से बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि सरकार ने इस साल का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन पीआर धान खरीद करने का रखा था, मगर सिर्फ 53 लाख की खरीद की गई है, जो उचित नहीं है. सरकार को कम से कम अपने टारगेट के हिसाब से 60 लाख मीट्रिक टन की खरीद करनी ही चाहिए थी.
गर्ग ने कहा कि 15 नवंबर तक खरीद करने की सरकार ने घोषणा की हुई है. इसलिए समय से पहले कई जिलों में खरीद बंद करना किसानों के साथ ज्यादती है. गर्ग ने कहा कि सरकार ने पहले ही धान की सरकारी खरीद काफी देर से शुरू की थी जिसके कारण किसानों को उसे सस्ते में बेचना पड़ा. सरकार ने धान की खरीद पहले 15 सितंबर से करने को कहा, बाद में 25 सितंबर फिर 1 अक्टूबर को खरीद करने की घोषणा करने के बावजूद जब किसान सड़कों पर उतरे तब जाकर सरकार ने 4 अक्टूबर से ऐसा किया. तब तक खरीद काफी लेट हो चुकी थी.
धान और बाजरा का नहीं मिल रहा एमएसपी
कांफेड के पूर्व चेयरमैन गर्ग ने कहा कि खरीद लेट होने की वजह से किसानों को अपना धान 1960 रुपए के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जगह लगभग 1800 रुपए में ही बेचकर नुकसान उठाना पड़ा. अब जो धान बचा हुआ है अगर सरकार ने उसकी खरीद नहीं की तो किसानों को और ज्यादा नुकसान हो जाएगा. इसी तरह बाजरा (Bajra) का एमएसपी 2250 रुपए प्रति क्विंटल है मगर बाजरा मंडियों में 1200-1300 रुपए में बिक रहा है.
किसान विरोधी है सरकार: गर्ग
एक तरफ तो किसान को डीएपी खाद न मिलने से परेशान हैं, उनकी फसलों की बिजाई में देरी हो रही है दूसरी तरफ किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं. यह सरकार पूरी तरह से किसान, आढ़ती व मजदूर विरोधी है. सरकार को अपनी घोषणा के अनुसार 15 नवंबर तक पीआर धान की पूरी खरीद करनी चाहिए. खरीद बंद करके सरकार किसानों, मजदूरों और आढ़तियों के साथ अत्याचार कर रही है.
हालांकि, व्यापार मंडल के आरोपों से पहले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया था कि दिवाली के कारण 7 नवंबर तक धान की खरीद बंद कर दी गई थी. 8 तारीख से फिर खरीद शुरू कर दी गई है. 15 नवंबर तक धान उत्पादन करने वाले 16 जिलों में एक-एक दाना की खरीद करने का लक्ष्य है.