जानिए मिस यूनिवर्स हरनाज संधू की सफलता की कहानी?

Parmod Kumar

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इक्कीस साल बाद भारत की एक लड़की हरनाज़ संधू ने देश का नाम रोशन किया है और मिस यूनिवर्स का ताज़ हासिल किया है, लेकिन सौंदर्य की इस प्रतियोगिता में इससे भी बढ़कर था हरनाज़ का वो जवाब, जिसने ज्यूरी का दिल जीत लिया और उसके सिर पर सजा मिस यूनिवर्स का ताज. हरनाज के घर भी गई और हमने उसकी मां से कई ऐसे किस्से सुने, जो उसकी संघर्ष और सफलता की कहानी बयां करती है.

ये वो ऐतिहासिक पल है जो एक बार फिर 21 साल बाद सच हुआ. 21 साल बाद. जैसे ही 21 साल की हरनाज संधू के सिर मिस यूनिवर्स का ताज सजा. इस क्षण ने हिंदुस्तान की 135 करोड़ अवाम को गर्व और गौरव से भर दिया. जीत के बाद उसका जज्बा भी इजरायल की धरती पर हिंदुस्तानी अंदाज में ही सामने आया.

दिलचस्प ये है कि ब्रह्माण्ड सुंदरी ने ताज अपने नाम करने से पहले ही ज्यूरी का दिल जीत लिया. फाइनल राउंड में हरनाज संधू से युवाओं की परेशानी और दबाव से निपटने के तरीके को लेकर सवाल किए गए, लेकिन अपने प़ॉजिटिव जवाब से हरनाज ने 79 देशों की प्रतिभागियों को एक झटके में पीछे छोड़ दिया और ये साबित कर दिया वो ही इस ताज की हकदार हैं.

मिस यूनिवर्स हरनाज सिंधु ने कहा, ‘आज का युवा जिस सबसे बड़े दबाव का सामना कर रहा है, वो है खुद पर विश्वास करने का. ये जानना कि आप यूनीक हैं, आपको सुंदर बनाता है. दूसरों के साथ अपनी तुलना करना बंद करें और दुनिया भर में हो रही ज्यादा महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बात करें. बाहर निकलें, अपने लिए बोलें, क्योंकि आप अपनी लाइफ की लीडर हैं. आप खुद अपनी आवाज हैं. मुझे खुद पर विश्वास था और इसलिए मैं आज यहां खड़ी हूं.’

हरनाज को स्कूल के जमाने से ही मॉडलिंग में ज्यादा दिलचस्पी थी

सौंदर्य प्रतियोगिता के मंच पर अपनी सधी हुई सोच से हरनाज से सबको चौंकाया. ऐसा लगा जैसे इतिहास खुद को दोहरा रहा है. जब 1994 में सुष्मिता सेन ने और 2000 में लारा दत्ता ने ये खिताब जीता था. तब से भारत इस खिताब का इंतजार कर रहा था, लेकिन हरनाज का यहां तक का सफर कैसा रहा. ये जानने के लिए टीवी9 भारतवर्ष की टीम चंडीगढ़ में उसके घर पहुंची, जहां उसकी अनगिनत तस्वीरें और ट्रॉफियां सफलता और संघर्ष की कहानियां बयां कर रही थी. हालांकि हरनाज की सफलती की कहानी किसी चुनौती से कम नहीं है.

सिख परिवार में जन्मी हरनाज का पूरा परिवार खेती किसानी से जुड़ा हुआ है. वहीं मां चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में गायनोकोलॉजिस्ट हैं, जो अपनी बेटी को जज बनाना चाहती थीं. हालांकि हरनाज को स्कूल के जमाने से ही मॉडलिंग में ज्यादा दिलचस्पी थी. हरनाज की मां रुपिंदर कौर का कहना है कि वो स्कूल और कॉलेज में स्टेज पर मॉडलिंग करती थीं. लोग और साथ पढ़ने वाले मजाक भी उड़ाया करते थे. दुबलेपन के लेकर कमेंट किए जाते थे. इस वजह से वो कुछ समय के लिए डिप्रेशन में भी रही. लेकिन परिवार ने हमेशा सपोर्ट किया.

सपना करियर बन सकता हैः हरनाज

परिवार के सहयोग और खुद के हौसले के दम पर वो उड़ान भरती रही. मॉडलिंग के लिए कई अवॉर्ड जीते, कई पेजेंट में हिस्सा भी लिया. कई बार मंच पर तालियां बजीं, लेकिन अपनी पढ़ाई को कभी बीच नहीं आने दिया. संधू ने स्कूल से कॉलेज तक कभी कोचिंग नहीं ली. ना ही कभी मॉडल बनने के लिए पढ़ाई से दूरी बनाई. हरनाज ने चंडीगढ़ के पब्लिक स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. चंडीगढ़ से ही ग्रेजुएशन करने के बाद अब मास्टर्स की पढ़ाई पूरी कर रही हैं. मॉडलिंग और पढ़ाई के साथ ही हरनाज को घुड़सवारी, तैराकी, एक्टिंग, डांसिंग और घूमने का बेहद शौक है और कभी भी अपने शौक से समझौता नहीं किया क्योंकि देश के करोड़ों युवाओं की तरह ही हरनाज का भी मानना है कि सपना करियर बन सकता है.

12 दिसंबर को इजरायल में हुए 70वें मिस यूनिवर्स पेजेंट में हरनाज उसी शौक की बदौलत सपने को हकीकत में बदलने में कामयाब रही. अब देश के साथ ही परिवार को भी उसके लौटने का इंतजार है जब जमकर जश्न मनाया जाएगा. यकीनन, हरनाज ने मिस यूनिवर्स 2021 का खिताब जीतकर ना सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि दुनिया को बता दिया है कि भारत की बेटियां किसी से कम नहीं है.