जानिए देश के मौसम का हाल किसानों के लिए मौसम अलर्ट जारी, 24 घंटों में इन राज्यों में भारी बारिश होने की संभावना।

Parmod Kumar

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देश में इस वर्ष मॉनसून लंबे समय तक बना रह सकता हैं. सितंबर के अंत तक उत्तर भारत में बारिश में कमी आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं. किसानों के लिहाज से लगातार होने वाली बारिश फायदेमंद और नुकसानदेह दोनों ही है. जिन इलाकों में धान की खेती हुई है, वहां के लिए बारिश ठीक है, लेकिन सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए बारिश मुश्किलें पैदा कर सकती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक बयान के अनुसार, 23-29 सितंबर के सप्ताह की समाप्ति से पहले उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से मॉनसून की वापसी की शुरुआत के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने की संभावना नहीं है.

स्काइमेट वेदर के अनुसार, मध्य प्रदेश और इससे सटे उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. मॉनसून की ट्रफ रेखा वर्तमान में बीकानेर, जयपुर, कम दबाव वाले क्षेत्र से जुड़े चक्रवाती हवाओं के केंद्र से गुजरते हुए पेंड्रा रोड, भुवनेश्वर से होते हुए दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की पूर्वी मध्य खाड़ी की ओर आगे बढ़ रही है.

इन राज्यों में हो सकती है भारी बारिश

बाताया जा रहा है कि अगले 24 घंटों के दौरान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों, मेघालय, नागालैंड और असम के पूर्वी हिस्सों हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ जगहों पर भारी बारिश भी हो सकती है. बिहार, झारखंड, शेष उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड में भी बारिश का अनुमान जताया गया है.

किसानों पर क्या असर डालेगी यह बारिश

मॉनसून इस बार देर से पहुंचा था. आधिकारिक रूप से दक्षिण पश्चिम मॉनसून एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक रहता है. देर से मॉनसून के रहने का मतलब है कि सर्दी भी देर से ही पड़ेगी. अभी हो रही बारिश की वदह से मिट्टी को नमी मिल जाएगी. इसकी वजह से अगले सीजन की खेती के लिए किसानों को इसका फायदा मिल सकता है.

मगर अभी जो खेतों में फसल लगी, इसमें धान को छोड़ दें, तो बारिश का पानी बाकी की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है. इन दिनों टमाटर, मूली और बाकी की सब्जियों की खेती बडे पैमाने पर होती है. अगर इन खेतों में पानी भर जाता है तो ये फसले बर्बाद हो जाएंगी. महाराष्ट्र के एक हिस्से में तो भारी बारिश के कारण करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल को नुकसान पहुंचा है.