हमारा देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. आज भारत विकासशील देश से विकसित देश की कदम पर चल रहा है. देश में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया दिवस जाता है. बालिका दिवस मनाने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य लड़कियों को सहायता और अलग-अलग तरीके के अवसर प्रदान करना है. हालांकि अभी कई जगह पर लोगों की सोच बहुत छोटी है. ऐसे में कई परिवार हैं जो बेटियों को जन्म नहीं देना चाहते है. इसलिए उन्हें गर्भ में ही मार देते हैं. या फिर पैदा होने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
बालिका दिवस मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य
बालिका दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना है. वो बालिकाओं के अधिकारों के बारे में हो, लड़कियों के शिक्षा के महत्व हो, स्वास्थ या उनके पोषण के बारे में हो. एक दौर ऐसा भी था, जब बेटियों को मार दिया जाता था. लड़कियों के बाल-विवाह करवा दिए जाते थे. पहले के समय में लड़कियों को कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता था. मगर अब इसके खिलाफ कई सारे कानून बनाए गए हैं. बात उत्तर प्रदेश की हो या किसी भी अन्य राज्य की लड़कियों को अपने अधिकारों की जानकारी है. बेटियां अब बिना डरे समाज में हर किसी का मुकाबला कर सकती हैं. आज के समय में लगभग हर क्षेत्र में बेटियों को लड़के के बराबर ही हक दिया जाता है.
2008 में हुई थी शुरुआत
राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी. हर साल 24 जनवरी को सभी राज्यों में इसे अलग-अलग तरीके में मनाया जाता है. राज्य की सरकारें अपने स्तर से जागरूकता की पहल करती हैं. बता दें, हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग-अलग रखी जाती है.बालिका दिवस साल 2021 की थीम ‘डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी’ थी. वहीं साल 2020 में बालिका दिवस की थीम ‘मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य’ थी. फिलहाल साल 2022 बालिका दिवस की थीम की घोषणा नहीं हुई है.
इसलिए भी है खास
आपको बता दें, 24 जनवरी का दिन बालिका दिवस को मनाने के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि 1966 में 24 जनवरी के दिन ही इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. यह दिन महिला सशक्तिकरण के लिहाज से भारतीय इतिहास में एक खास महत्वपूर्ण घटना थी. इसलिए इस दिन को ही बाद में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है.