मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना का फायदा, किसान कब और कैसे उठाये जानिए।

Parmod Kumar

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हरियाणा सरकार ने बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को ‘मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना’ के तहत सुरक्षा देने का फैसला किया है.राज्य के मुख्यमंत्री एम एल खट्टर की अध्यक्षता में हरियाणा मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस बारे में यह फैसला लिया गया. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बागवानी किसानों को विभिन्न कारणों से भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है. फसलों में बीमारी लगने, असमय वर्षा, तूफान, सूखा और तापमान बढ़ने जैसी आपदाओं से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

बयान के अनुसार कुल मिलाकर 21 सब्जियों, फल और मसाले की फसलों को इस योजना के तहत सुरक्षा कवर उपलब्ध होगा. बीमा योजना के तहत किसानों को सब्जियों और मसालों की फसल के लिये 750 रुपये और फल की फसल के लिये 1,000 रुपये का मामूली भुगतान करना होगा इसके एवज में उन्हें क्रमश: 30,000 रुपये और 40,000 रुपये का बीमा आश्वासन दिया जायेगा.

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के बारे में जानिए

योजना के तहत बीमा दावे का निपटारा करने के लिये सर्वे किया जायेगा जिसके तहत फसल नुकसान को चार श्रेणियों – 25 प्रतिशत, 50 प्रतिशत, 75 और 100 प्रतिशत- में आंका जायेगा. योजना वैकल्पिक होगी और पूरे राज्य में यह लागू होगी.

किसानों को योजना को अपनाने के लिये मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल में अपनी फसल और क्षेत्र का ब्यौरा देते हुये पंजीकरण कराना होगा. योजना के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य सरकार, राज्य और जिला स्तरीय समितियों द्वारा 10 करोड़ रुपये की बीज पूंजी रखी जायेगी.

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, मटर, गाजर, भिंडी, लौकी, करेला, बैगन, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी और मूली, हल्दी, लहसुन, आम, किन्नू, बेर, अमरूद की फसल को कवर किया जाएगा.

हरियाणा में फसल मुआवजा

वर्ष 2004-05 में प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान की भरपाई का मुआवजा 3000 रुपये प्रति एकड़ था. बाद में इसे 6000 रुपये किया गया. साल 2014 में इसे 12,000 रुपये प्रति एकड़ किया गया. हालांकि, स्वामीनाथन आयोग ने 10,000 रुपये प्रति एकड़ देने की ही की बात कही थी. 2014 के बाद राज्य सरकार ने खुद 2,764 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया है. जबकि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत यहां के किसानों को 2,943 करोड़ रुपये का क्लेम मिल चुका है.

राष्ट्रीय किसान प्रोग्रेसिव एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिनोद आनंद ने बिताया कि बीमा कटेगरी में मुख्यतौर पर वही फसलें आती हैं जिसमें एमएसपी मिलता है. बाकी आपको किसी फसल का करवाना है तो उसका प्रावधान अलग है. उसमें प्रीमियम ज्यादा हो जाता है. ऐसे में हरियाणा सरकार का यह कदम सराहनीय है.

मशरूम और बेबीकॉर्न को भी इस सूची में जोड़ देना चाहिए. कम ही राज्य सरकारें इस तरह का फैसला ले पाती हैं. दूसरे राज्यों को भी इस तरह का काम करना चाहिए. पीएम फसल बीमा योजना में भी कुछ बागवानी फसलों का बीमा होता है लेकिन उसमें 5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है.