कृषि से जुड़े तीन बिलों पर मचा बवाल

Bhawana Gaba

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नई दिल्‍ली कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन विधेयकों पर संसद से लेकर सड़क तक कोहराम मचा है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार को उम्‍मीद है कि लोकसभा के बाद यह तीनों बिल राज्‍यसभा से भी पास हो जाएंगे। इसके पीछे उसका अपना गणित है। वहीं, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां इन विधेयकों का जोरदार ढंग से विरोध कर रही हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, डीएमके, राजद समेत 12 पार्टियों ने संयुक्‍त प्रस्‍ताव सभापति एम वेंकैया नायडू को भेजा है। उनसे इन तीनों विधेयकों को सिलेक्‍ट कमिटी के पास भेजने की मांग की गई है। यह सभी पार्टियों राज्‍यसभा में रविवार को विधेयकों के पेश होने पर विरोध में वोट करेंगी। ये विधेयक कोरोना काल में लाए गए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे।

राज्‍यसभा में क्‍या है गणित? समर्थन जुटाने की कोशिशें
फिलहाल 242 सदस्‍यों वाली राज्‍यसभा में शिरोमणि अकाली दल (SAD) को हटाकर एनडीए के 110 सदस्‍य हैं। उसे एआईएडीएमके, बीजेडी जैसी पार्टियों के 24 सदस्‍यों का भी साथ मिलने की पूरी संभावना है। SAD ने अपने तीनों सदस्‍यों को विरोध में वोट करने के लिए विप जारी किया है। बसपा प्रमुख मायावती ने बिल के विरोध में ट्वीट किए हैं मगर पार्टी वोटिंग से दूर रह सकती है। बीजेपी के रणनीतिकारों ने उन दलों से संपर्क साधा है जो उन 12 दलों में शामिल नहीं हैं जो विधेयकों के खिलाफ प्रस्‍ताव लाए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिवसेना और एनसीपी जैसे कई दलों से बातचीत हुई है।
खुद पीएम मोदी उतरे हैं मैदान में
राज्‍यसभा में तीनों विधेयकों पर चर्चा और वोटिंग के लिए चार घंटे का समय रखा गया है। इन विधेयकों के जरिए फसलों की खरीद में एपीएमसी (मंडी परिषदों) का एकाधिकार खत्‍म करने का प्रावधान किया गया है। बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी SAD ने केंद्र सरकार से मंत्री पद छोड़कर विरोध किया है। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार कई मंचों से इन बिलों का महत्‍व समझाया है। उन्‍होंने विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को ‘मनगढ़त’ करार दिया और कहा कि इससे मंडियां खत्‍म नहीं होंगी। उन्‍होंने कहा कि यह बिल किसानों को उनकी फसल अधिकतम कीमत देने वाले को बेचने की स्‍वतंत्रता देंगे।

  • किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना, जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
  • राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करना।
  • परिवहन लागत एवं कर में कमी लाकर किसानों को उत्पाद की अधिक कीमत दिलाना।
  • ई-ट्रेडिंग के जरिये किसानों को उपज बिक्री के लिए ज्यादा सुविधाजनक तंत्र उपलब्ध कराना।
  • मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, कोल्डस्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता।
  • किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का सीधा संबंध, ताकि बिचैलिये दूर हों।

किसानों और व्यापारियों की आशंकाएं

  • न्यूनतम मूल्य समर्थन (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो जाएगी।
  • कृषक यदि पंजीकृत कृषि उत्पाद बाजार समिति-मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी।
  • ई-नाम जैसे सरकारी ई ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा ?

सरकार के समाधान

  • एमसपी पूर्व की तरह जारी रहेगी, एमएसपी पर किसान अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। रबी की एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
  • मंडियां समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
  • मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
  • इलेक्‍ट्रॉनिक प्‍लैटफॉर्म्‍स पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। पारदर्शिता के साथ समय की बचत होगी।कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020मुख्य प्रावधान
    • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
    • बाजार की अनिश्चितता से कृषकों को बचाना। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
    • किसानों तक अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद-बीज पहुंचाना।
    • विपणन की लागत कम करके किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना।
    • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करना।
    • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।

    आशंकाएं

    • अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा,वे कीमत निर्धारित नहीं कर पाएंगे
    • छोटे किसान कैसे कांट्रेक्ट फामिर्ंग कर पाएंगे, प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
    • किसान इस नए सिस्टम से परेशान होगा।
    • विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।

    सरकार के समाधान

    • किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
    • देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
    • अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
    • विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।
    • अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू आदि को अत्यावश्यक वस्तु की सूची से हटाना।
    • अपवाद की स्थिति, जिसमें कि 50 प्रतिशत से ज्यादा मूल्य वृद्धि शामिल है, को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी।
    • इस प्रावधान से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
    • कीमतों में स्थिरता आएगी, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू होगी।
    • देश में कृषि उत्पादों के भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता वृद्धि से किसान अपनी उपज सुरक्षित रख सकेगा एवं उचित समय आने पर बेच पाएगा।

    आशंकाएं

    • बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेगी। उनका हस्तक्षेप बढ़ेगा।
    • कालाबाजारी बढ़ सकती है।

    सरकार के समाधान

    • निजी निवेशकों को उनके व्यापार के परिचालन में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेपों की आशंका दूर हो जाएगी। इससे कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा।
    • कोल्ड स्टोरेज एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ने से किसानों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिल पाएगा।
    • फसल खराब होने की आंशका से किसान दूर होगा। वह आलू-प्याज जैसी फसलें ज्यादा निश्चितता से उगा पाएगा।
    • एक सीमा से ज्यादा कीमते बढ़ने पर सरकार के पास पूर्व की तरह नियंत्रण की सभी शक्तियां मौजूद।
    • इंस्पेक्टर राज खत्म होगा, भ्रष्टाचार समाप्त होगा।