कृषि बिल पास हो चुके हैं और किसानों को एक ही बात की चिंता है कि इस बार फसलों की खरीद msp पर होगी या नहीं? आपको बता दें कि भारत सरकार गोदामों में लगातार बढ़ते अनाज की चुनौती से जूझ रही है। हर सीज़न में सरकारी एजंसियां रिकॉर्डतोड़ अनाज खरीद रही है। वहीं इस बार भी खरीफ के सीजन में बंपर उत्पादन होने की संभावना है। यानि एक बढ़ी चुनौती ये है कि यह अनाज रखा कहां जाएगा? यदि इस अनाज को बाजार में उतार दिया जाए तो कीमतों में जबरदस्त कमी आ सकती है। यानि कि ऐसे में ये साफ़ है कि किसानों को उनके बंपर उत्पादन की सही कीमत नहीं मिल पाएगी। इसको देखते हुए सीएसीपी ने रबी और खरीफ सीजन के 2020-21 विपणन सत्र के लिए जारी अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की है कि लगातार बढ़ रहे बफर स्टॉक को देखते हुए सरकारी खरीद को रोक देना। 0.इस रोपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बफर स्टॉक को खुले बाजार में नहीं बेचा जाना चाहिए, इससे बाजार में विकृति पैदा होगी। हलाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीईए ने 2021-22 सिज़ के लिए सभी रबी फसलों के MSP को बढ़ाने की घोषणा भी की है। ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि सरकार सभी फसलों की खरीद करेगी। लेकिन सीएसीपी ने ये सिफारिश की है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से सरकारी खरीद बंद कर दी जाए और राज्य सरकारें किसानों को MSP के ऊपर बोनस देना बंद कर दें। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पंजाब और हरियाणा के किसानों से सिर्फ दो हेक्टेयर क्षेत्र में उगे धान की ही खरीद की जाए तो इस खरीद को 15.3 मिलियन टन से घटाकर लगभग 10.3 मिलियन किया जा सकता है।” पंजाब में 95 प्रतिशत से अधिक धान किसान सरकारी खरीद प्रणाली के तहत आते हैं, जबकि हरियाणा में इन किसानों की संख्या 70 प्रतिशत है। सीएसीपी की रिपोर्ट में केंद्र को या सुझाव भी दिया गया है कि खरीद पर उच्च और आकस्मिक शुल्क लगाने वाले और किसानों को बोनस का भुगतान करने वाले राज्यों से चावल और गेहूं की खरीद को बिलकुल बंद कर दिया जाना चाहिए। अब देखना ये है कि केंद्र सरकार इन सुझावों पर क्या फैसला लेती है।