पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को फौरन रिहा करने का बृहस्पतिवार रात को आदेश दिया। सैनी को धोखाधड़ी और जालसाजी समेत अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।
राज्य के सतर्कता ब्यूरो ने धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य अपराधों के लिए सितंबर 2020 में दर्ज एक मामले के संबंध में बुधवार रात को सैनी को गिरफ्तार किया।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की अदालत ने आधी रात के आसपास सैनी को रिहा करने का आदेश दिया। सैनी के वकील हिम्मत सिंह देओल ने बताया, ‘‘अदालत ने कहा कि उन्हें (सैनी) तत्काल रिहा किया जाए।’’
एक अन्य वकील एपीएस देओल ने बताया कि उच्च न्यायालय के अनुसार सितंबर 2020 के मामले में सैनी को हिरासत में लिया जाना ‘‘गैरकानूनी और अनुचित’’ था। अगर उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया जाना था तो पहले सात दिन का नोटिस देना चाहिए था।
देओल ने बताया कि अदालत का मानना है कि ‘‘यह पुलिस द्वारा शक्ति का खुला दुरुपयोग और सतर्कता द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है।’’ उन्होंने कहा कि विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है।
यह आदेश दो याचिकाओं पर आया है जिसमें से एक बंदी प्रत्यक्षीकरण और एक अन्य में उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश के अनुसार संरक्षण मांगा गया। उच्च न्यायालय ने पिछले साल दिए आदेश में सैनी के पूरे करियर के दौरान किसी भी घटना से जुड़े मामले में गिरफ्तारी से पहले सात दिन का नोटिस देने का निर्देश दिया था।
1982 बैच के आईपीएस अधिकारी सैनी को 2012 में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया। उन्हें धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की कई घटनाओं को लेकर हुए प्रदर्शनों के बाद 2015 में इस पद से हटा दिया गया। वह 2018 में सेवानिवृत्त हो गए।
पूर्व डीजीपी को रिमांड के लिए बृहस्पतिवार दोपहर को मोहाली की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया। उच्च न्यायालय ने मोहाली की अदालत को रिमांड पर कोई आदेश न देने को कहा था। उच्च न्यायालय ने मामले में दोपहर तीन बजे सुनवाई की और साढ़े तीन घंटे तक दलीलें सुनी गईं। सैनी को बुधवार रात को गिरफ्तार किया गया जब वह आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति मामले में जांच में शामिल होने के लिए मोहाली में सतर्कता ब्यूरो के मुख्यालय में पहुंचे थे। सैनी ने रात सतर्कता ब्यूरो के कैदखाने में बितायी और हवालात में बंद तथा सफेद दाढ़ी में उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी थी।