पंजाब में इस साल खेत में आग लगने की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा हो गई और यह 2016 के बाद सबसे अधिक दर्ज हुई है. हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ी हैं और यह पिछले महीने अक्टूबर की तुलना में चार गुना ज्यादा रही.
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा एक्सेस किए गए SAFAR के डेटा से पता चलता है कि नवंबर में दिल्ली में PM2.5 के स्तर पर खेत की आग का योगदान 6% से 48% तक रहा है. औसत के आधार पर देखा जाए तो यह 23% तक आता है. हालांकि पिछले कुछ दिनों में दिल्ली के PM2.5 स्तरों में खेत में लगने वाली आग के योगदान में कमी आई है. 14 नवंबर से 17 नवंबर तक इसके योगदान में गिरावट आई है और यह क्रमशः 12%, 10%, 8% और 6% था.
क्या टूटेगा 2016 का रिकॉर्ड
खेत की आग का विश्लेषण नासा के एक वैज्ञानिक द्वारा VIIRS-SNP सेटेलाइट डेटा के एक अध्ययन पर आधारित है, जिन्होंने कहा कि आग लगने के मामले में दैनिक संख्या कमी होने लगी है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 2016 का रिकॉर्ड टूटेगा या नहीं, अगर आग लगने जारी रहती है, तो दिल्ली के ऊपर खराब हवा का कहर जारी रहेगा.
HT की ओर से मंगलवार को प्रकाशित पिछले वायु गुणवत्ता डेटा और खेत की आग के विश्लेषण से पता चला है कि, स्टबल बर्निंग एक्यूआई को बहुत खराब (300-400) या गंभीर (400-500) श्रेणी में धकेलने का काम करता है, और यह सर्दियों से पहले प्रदूषण के स्तर को और बदतर बना देता है.
पिछले 7 दिनों में गंभीर श्रेणी में ही दिल्ली की हवा
मसलन, इस साल 20 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) सात दिनों से गंभीर क्षेत्र में रहा है. इनमें से हर दिन, दिल्ली के PM 2.5 योगदान में खेत की आग का योगदान 26% से 48% के बीच रहा था.
गोडार्ड अर्थ साइंसेज टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (GESTAR), यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (USRA) के एक शोध वैज्ञानिक पवन गुप्ता, जिन्होंने खेत में आग से जुड़े आंकड़े पर डेटा विश्लेषण किया, ने कहा कि अब संख्या कम होने लगी है, हालांकि रोजाना आग लगने की घटना अभी भी 1,000 से अधिक है, जो अभी भी ज्यादा है. यह अब तक का दूसरा सबसे खराब साल है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि यह प्रवृत्ति अगले दो हफ्तों में जारी रहती है या नहीं.
16 नवंबर तक, पंजाब में खेत में आग लगाए जाने की घटना 74,015 तक हुई, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह संख्या 72,373 थी. जबकि 2016 में यह आंकड़ा 84,886 तक पहु्ंच गया था.
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा किए गए इसी तरह के विश्लेषण से पता चला है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी में इसी अवधि के लिए खेत में आग की संख्या सामूहिक रूप से 85,604 तक पहुंच गई है. जो पिछले साल की इसी अवधि में 5,000 से अधिक है. यह संख्या 2016 के बाद सबसे अधिक है, तब 104,605 आग लगाए जाने की घटना दर्ज की गई थी.
हरियाणा में भी लगातार खतरनाक आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं. सीईईडब्ल्यू के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 अक्टूबर से 16 नवंबर के बीच सेटेलाइट से 8,663 आग लगी है, जो पिछले साल के 4,831 के आंकड़े से करीब दोगुना है.