लॉकडाउन में चले गए प्रवासी, अब धान रोपाई में ‘अपनों’ का सहारा, महिलाएं आगे आयीं!

Parmod Kumar

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हरियाणा के एक छोर पर बसा हुआ सिरसा जिला जिसकी सीमा राजस्थान और पंजाब के साथ लगती है, इस बेल्ट से घग्गर नदी होकर गुजरती है, जहां से घग्गर निकलती है, उस इलाके को धान का कटोरा कहा जाता है, यहां हर साल मुच्छैल और बासमती धान की रोपाई होती है, इस बार यहां लॉक डाउन के चलते प्रवासी मजदूर जो धान लगाते थे या धान लगाने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से आते थे, वो वापसी कर गए हैं, इसके साथ अब यहां मजदूर आने की उम्मीद भी कम नजर आ रही है, ऐसी स्थिति में अब ग्रामीण महिलाएं धान लगाने के लिए आगे आयी हैं, इन महिला मजदूरों को एक दिन में 500 रूपये से अधिक की कमाई हो रही है, वहीं एक एकड़ में धान रोपाई की मेहनत 4000 रूपये तक लिए जा रहे हैं, प्रवासी मजदूरों की वापसी के चलते अब ग्रामीण महिलाओं को काम मिला हुआ है, ये महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक धान रोपाई करती हैं, पहले लॉक डाउन में घर में रहने वाली महिलाएं अब जमींदारों के लिए खेत में आकर धान की रोपाई करने में जुट गयी है, महिलाओं का कहना है उनको आने वाले दो महीनों तक खूब काम मिलेगा, जिससे वे अपना अच्छा खासा पैसा जोड़ पाएंगी और अपने बच्चों के लिए अच्छे से खाना खा सकेंगी, इस मुद्दे को लेकर आज सड़कनामा की टीम ने ऐसे ही एक महिलाओं के ग्रुप से बातचीत की है, जो सुबह सवेरे धान रोपाई के लिए निकलती है, देखिये ये रिपोर्ट प्रमोद कुमार के साथ वीडियो जर्नलिस्ट चरण सिंह.

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