गठबंधन में दो दलों को कुछ समझौते तो करने ही पड़ते हैं। हालांकि सपा का बाराबंकी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ना तमाम चर्चाओं को हवा देने के साथ ही सवाल भी खड़े कर रहा है। इसका एक कारण यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी को कांग्रेस के उम्मीदवार से करीब तीन गुना ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि सीट पर कब्जा बीजेपी का हुआ था। कम वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद सपा नेतृत्व का सीट कांग्रेस को देना सवाल खड़े कर रहा है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इसकी वजह कांग्रेस के पूर्व सांसद पीएल पुनिया की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नजदीकियां और दूसरी सपा के स्थानीय नेताओं के बीच चल रही खींचतान है।
सपा के फैसले को लेकर ज्यादा अचरज भी नहीं है। कारण पीएल पुनिया के सपा नेतृत्व से संबंध जगजाहिर है। पुनिया अपनी संबंधों के कारण ही सपा के समर्थन से राज्यसभा के सदन तक पहुंच चुके हैं। इधर कुछ समय से पीएल पुनिया का सपा नेतृत्व के साथ ही स्थानीय नेताओं के साथ संपर्क भी चर्चा में था। हाल ही में जिले में हुए दो बड़े कार्यक्रमों में सपा के पूर्व मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। इस मौके पर पीएल पुलिया में मौजूद रहे। यहां तक दो मुशायरों में पुनिया के ही बुलावे पर उनकी पार्टी के राज्यसभा सदस्य व मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी मंच को साझा कर चुके है। काफी कम समय में इमरान प्रतापगढ़ी के बाराबंकी के उन मुशायरों में शिरकत की थी जिनमें पूर्व मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप मुख्य अतिथि थे। सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने का एक और कारण जिले में सपा के बीच गुटबाजी भी मानी जा रही है। एक गुट पूर्व विधायक रामगोपाल रावत को मैदान में उतारने के लिए कमर कसे था। जबकि दूसरा गुट जैदपुर के मौजूदा विधायक गौरव रावत के साथ था। सपा से किसी एक को प्रत्याशी बनाने पर दूसरे गुट की भूमिका को लेकर भी शक ओ सुब्हा की गुंजाइश थी। माना जा रहा है कि पूरी स्थिति से अच्छी तरह से वाकिफ होने के चलते ही सपा नेतृत्व ने यह फैसला लिया है।