Mahakumbh 2025: मकर संक्रांति पर कुंभ स्नान से मिलेगा अमृत फल | Prayagraj Kumbh Mela 2025
महाकुंभ 2025: अमृत स्नान की भव्य शुरुआत
प्रयागराज में महाकुंभ के अमृत स्नान की भव्य शुरुआत हो चुकी है। आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सुबह 3:56 बजे स्नान का शुभारंभ हुआ। इस दिन के लिए तीन विशेष शुभ मुहूर्त बताए गए हैं। मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान नदियों का जल अमृतमय हो जाता है, और आज का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह शुभ योग 144 साल बाद आया है।
त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व
महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुबह से लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए पहुंचे। इस शुभ दिन पर पहला स्नान नागा साधुओं द्वारा किया गया। शाही स्नान की शुरुआत के बाद विभिन्न अखाड़ों के संत-महात्मा स्नान कर रहे हैं।
शाही स्नान की अद्भुत छटा
संगम तट पर शाही स्नान के दौरान साधु-संतों की भव्य शोभा यात्रा देखने को मिली। नागा साधुओं के साथ अन्य अखाड़ों के संत शस्त्र प्रदर्शन करते नजर आए। तलवारों और रुद्राक्ष मालाओं के साथ यह दृश्य अद्वितीय और अलौकिक प्रतीत हो रहा था।
श्रद्धालुओं की आस्था और व्यवस्था
मकर संक्रांति और अमृत स्नान के इस पावन पर्व पर प्रयागराज में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। कड़ाके की ठंड के बावजूद लोगों की आस्था अडिग है। प्रशासन ने सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा है, जिससे आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो रहा है।
देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु
महाकुंभ 2025 में न केवल देश के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह आयोजन सनातन संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मान्यता है कि यदि संगम तट पर स्नान संभव न हो, तो आसपास के किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान करने से समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ का विशेष महत्व
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का संगम आस्था और सनातन परंपराओं का प्रतीक है। इस वर्ष का आयोजन न केवल भव्य है, बल्कि कई पुराने रिकॉर्ड तोड़ने की ओर अग्रसर है। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और उनके उत्साह ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया है।