हरियाणा सरकार के कर्मचारी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। उन्हें प्रतिबंधित करने वाला पांच दशक पहले किया गया आदेश एमएल खट्टर सरकार ने सोमवार को वापस ले लिया। 1967 के इस आदेश की वापसी के बाद अब राज्य में आरएसएस प्रतिबंधित संगठन नहीं होगा।
हरियाणा सरकार ने सोमवार को 1967 और 1980 में जारी दो आदेशों को वापस ले लिया, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग लेने पर रोक थी।
गुपचुप जारी किया आदेश
हालांकि, आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने वाली 1967 की अधिसूचना को वापस लेने का आदेश खट्टर सरकार ने बहुत ही गुपचुप तरीके से जारी किया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को जारी आदेश में कहा, ‘हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियम, 2016 के प्रभाव में आने के साथ, दिनांक 2.4.1980 और… दिनांक 11.1.1967 के सरकारी निर्देश को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाता है क्योंकि वे अब प्रासंगिक नहीं हैं।’
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ‘भाजपा-आरएसएस की पाठशाला’ चला रही है।
सरकार ने कहा आरएसएस बैन नहीं
सोमवार के फैसले से अब हरियाणा सरकार के कर्मचारी आरएसएस की गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। इस आदेश पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी आदेश को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘अब हरियाणा के कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में भाग लेने की छूट। सरकार चला रहे हैं या भाजपा-आएसएस की पाठशाला।’
कब-कब क्या हुआ
11 जनवरी, 1967 को हरियाणा में मुख्य सचिव के कार्यालय की राजनीतिक और सेवा शाखा ने एक निर्देश जारी किया था। इस निर्देश में स्पष्ट किया था कि आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले कर्मचारियों पर सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
4 मार्च, 1970 को, हरियाणा सरकार ने 1967 के निर्देशों पर रोक लगा दी थी क्योंकि ‘आनंद मार्ग’ के कार्यकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी कर्मचारियों को इसकी गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित सेवा नियमों को चुनौती दी थी।
2 अप्रैल 1980 को हरियाणा के मुख्य सचिव के कार्यालय ने नए निर्देश जारी कर स्पष्ट किया कि आरएसएस या जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों से जुड़े सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
तब से, आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लागू था क्योंकि इसे आज तक हरियाणा सरकार ने कभी भी निरस्त या संशोधित नहीं किया गया था।