11 साल में 16 लाख परिवारों में से महज 97779 परिवारों को 100 दिन मिला काम
हरियाणा में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक मजदूरी दर, पर खेतिहर मजदूरी दर से कम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कामगारों को रोजगार की ‘गारंटी’ नहीं मिल रही है। हरियाणा के लिहाज से यही स्थिति है। मनरेगा के अंतर्गत 2007-08 से इस साल मई 2018 यानी करीब 11 वर्ष में मनरेगा के अंतर्गत हरियाणा में 97779 पंजीकृत परिवारों ने 100 दिन का रोजगार पूरा किया है। इस साल तो अब महज 21 परिवार ही 100 दिन की गारंटी सीमा लांघ पाए हैं। खास बात यह है कि योजना के अंतर्गत इस समय राज्य के करीब 16 लाख 25 हजार परिवार पंजीकृत हैं।
दरअसल हरियाणा में खेती के साथ मनरेगा को न जोडऩा इस योजना को विफल बना रहा है। खेती सैक्टर में अधिक मजदूरी दर होने के चलते मनरेगा से लोग दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि यह बात दीगर है जब योजना शुरू हुई तो रोजगार की गारंटी का आकर्षण देखते हुए लाखों लोगों ने जॉब कार्ड बनवा लिए, पर जब काम मांगने की बारी आई तो लोग मुंह मोडऩे लगे। नरेगा संघर्ष मोर्चा एवं केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में इस समय पूरे देश में खेती सैक्टर में न्यूनतम मजदूरी दर सबसे अधिक है। पंजाब से भी अधिक है। हरियाणा में कृषि मजदूरी दर इस समय 318 जबकि पंजाब में 294 रुपए है। जबकि हरियाणा में मनरेगा के अंतर्गत 281 रुपए मजदूरी दर है। ऐसे में यह न्यूनतम कृषि मजदूरी से 37 रुपए कम है। यह एक बड़ा अमाऊंट है। ऐसे में मनरेगा संग लोगों का जुड़ाव नहीं बन रहा है। यही वजह है कि हरियाणा जैसे राज्यों की कृषिकीय एवं श्रमिकिय स्थिति को देखते हुए काफी समय से अनेक अर्थशास्त्री एवं विशेषज्ञ मनरेगा को खेती सैक्टर से जोडऩे की वकालत करते आ रहे हैं। इस योजना के पहलू को समझना हो तो आंकड़ों में आकंठ डूबना पड़ेगा। मसलन इस साल योजना के अंतर्गत 16 लाख 26 हजार 59 परिवार पंजीकृत हैं। पर काम कांगा महज 1 लाख 78 हजार लोगों ने ही। साल 2017-18 में योजना के अंतर्गत 16 लाख 20 हजार 266 पंजीकृत परिवारों में से केवल 4.93 लाख परिवारों ने ही रोजगार मांगा था।
खेती से जुड़े तो मिलेगा लाभ
विशेषज्ञों की राय में हरित क्रांति में अन्न उत्पादन का कटोरा बनने वाले पंजाब एवं हरियाणा दोनों समृद्ध राज्य हैं। खेती प्रधान इन दोनों राज्यों में खेतिहर दृष्टि से काम की बहुतायत है और मजदूरी दर भी 300 से 350 रुपए प्रति दिवस के करीब है। खास बात यह है कि इन दोनों सूबों में ही इस समय बिहार व उत्तरप्रदेश के करीब 1 लाख से अधिक मजदूर काम में लगे हुए हैं। नरेगा में इस समय सबसे अधिक मजदूरी दर हरियाणा में करीब 281 रुपए है। हरियाणा में भी योजना पूरी तरह फ्लाप हुई है पर पंजाब की अपेक्षा कम। पर यह भी अजीब पहलू है कि इस समय पंजाब में हरियाणा की तुलना में नरेगा के अंतर्गत मजदूरी दर कम है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि योजना के अंतर्गत दोनों सूबों के आॢथक पक्ष के लिहाज से मजदूरी दर व मापदंड तय होने चाहिए तभी योजना सफल हो पाएगी।
एक्टिव वर्कर्स के मामले में हरियाणा 23वें नम्बर पर
आॢथक परिपेक्ष्य के संदर्भ में आ रही अड़चन का कारण है कि हरियाणा में मनरेगा के अंतर्गत अब तक पूरे हुए कार्यों एवं एक्टिव वर्कर्स के मामले में हरियाणा टॉप 20 राज्यों में भी नहीं है। हरियाणा में योजना के अंतर्गत कुल 16.25 लाख में से महज 6.30 लाख यानी करीब 38.81 फीसदी ही जॉबधारक एक्टिव वर्कर्स हैं और इस मामले में पूरे देश में हरियाणा का रैंक 23वां है। इसी तरह से मनरेगा के अंतर्गत हरियाणा में अब तक करीब 12 बरस में 97423 काम पूरे हुए हैं और इस मामले में हरियाणा 22वें पायदान पर है।
आंकड़ों में मनरेगा
वर्ष पंजीकृत परिवार काम मांगा 100 दिन का रोजगार पूरा किया
2007-08 351142 70869 7402
2008-09 461460 171994 9855
2009-10 570997 156410 8837
2010-11 643863 237480 9077
2011-12 677821 278556 13762
2012-13 749498 302180 19984
2013-14 778393 361761 14103
2014-15 772929 264885 5407
2015-16 751784 180292 2947
2016-17 848106 322208 2460
2017-18 885820 322027 3924
2018-19 891592 123648 21
हरियाणा व पड़ौसी राज्यों में कृषि लेबर व मनरेगा मजदूरी दर
राज्य न्यूनतम कृषि मजदूरी मनरेगा मजदूरी
पंजाब 294 240
राजस्थान 213 192
हरियाणा 318 281
उत्तरप्रदेश 228 175
जम्मू कश्मीर 225 186
मध्यप्रदेश 230 174