कौन कहता है कि आसमां में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो…दुष्यंत कुमार की ये लाइनें चरितार्थ की हैं, उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर निगोही के रहने वाले नईम ने। इनके गांव में न किसी ने आजतक एमबीबीएस किया, न ही पूरे परिवार में किसी ने मेडिकल की पढ़ाई की सोची। पर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। किसान के घर में जन्मे पढ़ाई में सामान्य छात्र रहे नईम ने भी 12वीं करने तक डॉक्टरी के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन आज नईम कजाकिस्तान की कोक्शेताऊ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर भारत में प्रैक्टिस लाइसेंस धारी प्रशिक्षु डॉक्टर बन चुके हैं। अगर आप भी 12वीं के बाद डॉक्टर बनना चाहते हैं नईम की तरह नीट परीक्षा में सफल नहीं हो सके। तो आपको भी विदेश से एमबीबीएस करने के बारे में सोचना चाहिए। इससे आपका एक साल भी बर्बाद नहीं होगा और भारत से 70 प्रतिशत कम फीस में आपकी एमबीबीएस भी पूरी हो जाएगी।
आइये जानते हैं नईम की कहानी उन्हीं की जुबानी
नईम: किसान पिता शराफत अली के यहां मेरा जन्म हुआ। पढ़ाई में मैं ज्यादा होशियार नहीं रहा। 12वीं पढ़ाई के दौरान भी मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा कि निगोही गांव का नईम कभी डॉक्टर भी बन सकेगा। 12वीं के बाद जब साथी छात्र अलग अलग स्ट्रीम चुन रहे थे तो कुछ लोग मेडिकल की पढ़ाई की भी बातें कर रहे थे। जिनमें अभिभावकों का कहना था कि मेडिकल की पढ़ाई तो बहुत महंगी होती है। साल भी कई लगते हैं और तकरीबन 1 करो़ड़ रुपया भी खर्च हो जाता है। ऐसे में एक किसान परिवार का होने के नाते मैं ये सोच ही नहीं सका कि घर में एमबीबीएस के लिए कैसे कहूं। क्योंकि पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी। हम 15-20 लाख रुपये का ही बजट रखते थे !
लखनऊ में की मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी
जब घर में बात शुरू हुई तो कुछ जानकार लोगों से बात की। कि अगर एमबीबीएस करना हो तो कैसे करें, उन्होंने बताया कि शाहजहां पुर के पास लखनऊ में सीपीएमटी परीक्षा(आज की NEET-UG) की नि:शुल्क तैयारी कराई जाती है। अगर कोई सीपीएमटी परीक्षा पास कर ले तो उसे सरकारी कॉलेज में कम बजट में एमबीबीएस का मौका मिल सकता है। परिवार से अनुमति लेकर लखनऊ के हजरगंज पहुंचा। कोचिंग में शामिल हुआ तब जाकर पता चला कि 12वीं के साथ भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं औऱ उसके बाद भी। यहां प्रवेश परीक्षा की पूरी जानकारी मिली। क्योंकि निगोही मेरे गांव में तो लोग बीए, बीएससी, बीकॉम ही करते रहे। उन्हीं डिग्रियों से कुछ काम किया या सरकारी-प्राइवेट में आवेदन किया जिसका सिलेक्शन हो गया, वो लग गया। कोचिंग के दौरान ही मुझे पता चला कि एमबीबीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस। डॉक्टर बनने के इतने कोर्स होते हैं। साथ ही आप बीएससी नर्सिंग भी कर सकते हैं।
बार- बार मेडिकल प्रवेश परीक्षा में हुआ फेल
अब बारी आई सीपीएमटी एग्जाम की, दो बार परीक्षा दी क्वालीफाई नहीं कर पाया। सरकार ने तीसरे साल सीपीएमटी परीक्षा बदल कर उसका नाम नीट-यूजी रख दिया। इसके भी दो अटेम्ट दिये लेकिन सफल नही हो पाया। अब क्या विकल्प है। कैसे होगी एमबीबीएस? ये सवाल मेरे दिमाग में कौंधता रहा। तभी मुझे जानकारी हुई मेरा एक जानने वाला चीन पढ़ने गया है। उन्हीं से पता चला कि भारत में दाखिला न मिले तो विदेश भी एक विकल्प हो सकता है। क्योंकि नीट परीक्षा में कम्प्टीशन बहुत तगड़ा है। 1 लाख मेडिकल सीटों के लिए हर साल परीक्षा में 22 से 24 लाख छात्र बैठते हैं। जिनमें लाखों छात्रों को देश में दाखिला नहीं मिल पाता।
विदेश में पहले चीन और यूक्रेन में किया आवेदन
मुझे ज्यादा जानकारी थी नहीं। चीन गए दोस्त ने बताया कि यहां दाखिला हो सकता है। मैंने आवेदन कर दिया। फिर पता चला कि लैंग्गुएज का एग्जाम देना पड़ेगा। जिसे पास किये बिना दाखिला नहीं मिलेगा। तो इस तरह चीन का प्लान हमने ड्रॉप कर दिया। अब 2017 में अगली यूनिवर्सिटी मैंने तय की यूक्रेन की। वहां आवेदन कर दिया। लेकिन जब सारी जानकारी हुई तो पता चला कि यहां 35 से 40 लाख के करीब फीस लग जाएगी। तो बजट इतना था नहीं इसलिए यूक्रेन का भी प्लान छोड़ दिया।
कजाकिस्तान की कोक्शेताऊ में 1.5 लाख प्रति सेमेस्टर फीस में मिला एडमिशन
फिर कहानी में ट्विस्ट आया जब मोक्ष से हमें पता चला कि कजाकिस्तान से कम बजट में आप एमबीबीएस कर सकते हैं। तो झट से हमने कजाकिस्तान की कोक्शेताऊ स्टेट यूनिवर्सिटी जोकि वहां की सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी है उसमें 2018 में दाखिला ले लिया। यहां फीस काफी कम थी। एक सेमेस्टर का पूरा खर्चा करीब 1.5 लाख रुपये आ रहा था। जिसमें ट्यूशन फीस, रहने की हॉस्टल फीस, खाने की मेस फीस सब शामिल था। अगर आप भी एमबीबीएस करने के इच्छुक हैं तो मोक्ष के 1800-571-0202 नंबर पर कॉल कर कोक्शेताऊ यूनिवर्सिटी में अपनी सीट बुक कर सकते हैं।
मिलती है हर साल 3 महीने की छुट्टी
इसके अलावा अगर साल में एक बार आपको घर आना है तो फ्लाइट का खर्चा जो लगे वो अलग से जोड़ लें। क्योंकि जून जुलाई में 3 महीने की छुट्टी हर साल विदेशी छात्रों को मिलती है। वहीं दिसम्बर में भी 15 दिन की छुट्टी मिलती है। तो जिसका जैसा बजट है उस हिसाब से स्टूडेंट घर आते जाते हैं। तो एमबीबीएस के 5 साल में हुए 10 सेमेस्टर, जिनकी कुल फीस लगी 15 लाख रुपये। साथ ही हर साल घर आने-जाने के किराए पर तकरीबन 1 लाख प्रति वर्ष खर्च हुए। मैं हर साल सिर्फ जून में ही घर आया। इसके अलावा आपको अगर कुछ वहां से सामान लेकर आना है तो उसका खर्चा अलग जोड़ लें।
एमबीबीएस के दौरान एक वर्ष ऐसा भी आया जब नहीं भर पाई फीस
कोक्शेताऊ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के दौरान मां को ब्रेन हैमरेज हो गया। घर पर जो बजट था वो दवा में लग गया। मुझे फीस के लिए पैसे नहीं मिल पाए। जिस कारण मैंने अपनी फीस जमा नहीं कर पाई लेकिन यहां का स्टॉफ बहुत अच्छा है। मोक्ष टीम के तेजा सर ने मेरी पूरी मदद की। फीस का कुछ हिस्सा माफ कराया। एक साल बाद जब पैसे देने की स्थिति में मैं आया तब मैंने फीस अदा की।
भारत के 40 बच्चों ने हासिल की मेरे साथ डिग्री
2019-20 के अकादमिक सत्र में कोरोना महामारी आ गई। जिसके कारण तकरीबन एक से ढेढ़ साल मैं भारत में ही रहा। ऑनलाइन माध्यम से मैंने क्लासेज अटेंड की। इस दौरान एक निजी अस्पताल में मैंने डॉक्टरी के गुर भी सीखे, काम किया। वापस कजाकिस्तान पहुंचने पर बाकी सेमेस्टर पूरे किये और 2023 में हमें एमबीबीएस की डिग्री दे दी गई। मेरे बैच में भारत से 40 बच्चों ने कोक्शेताऊ यूनिवर्सिटी में दाखिला कराया था। जिन्हें मेरे साथ ही डिग्री नवाजी गई।
भारत में प्रैक्टिस लाइसेंस कैसे किया क्वालीफाई
अब मेरा अगला लक्ष्य भारत में प्रैक्टिस लाइसेंसिंग एग्जाम को क्वालीफाई करना था। मैंने एमबीबीएस के दौरान भी लाइसेंसिंग एग्जाम Foreign Medical Graduate Examination (FMGE) की तैयारी की थी। तो भारत में आकर मैं शाहजहांपुर से दिल्ली आ गया। यहां जनवरी 2024 में मैंने एग्जिट एग्जाम की परीक्षा दी। लेकिन तैयारी बेहतर न होने के कारण मैंने एग्जाम क्लीयर नहीं कर पाया। अब मेरा अगला पढ़ाव था जुलाई 2024 एग्जाम। जुलाई में पूरी मेहनत से मैंने तैयारी की और एग्जाम दिया। लिहाजा मुझे सफलता मिल गई और भारत में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस भी। एफएमजीई पर नईम कहते हैं कि जनवरी में जो एग्जाम होता है उसका पासिंग परसेंटेज 24 प्रतिशत के आसपास रहता है। वहीं जुलाई परीक्षा में पेपर कठिन होता जिसमें 12-14 प्रतिशत बच्चे ही सफल हो पाते हैं।
भारत के छात्र कोक्शेताऊ को क्यों चुनें
नईम ने कहा कि अगर भारत में कुछ ऐसे छात्र हैं जो एमबीबीएस करना चाहते हैं तो उन्हें कजाकिस्तान की कोक्शेताऊ यूनिवर्सिटी को जरूर चुनना चाहिेए। कम बजट की होने के साथ साथ ये यूनिवर्सिटी एग्जिट एग्जाम की तैयारी भी कराती है। तो जो छात्र यहां से जाने की तैयारी में हैं उन्हें पहले वर्ष का बजट थोड़ा ज्यादा रखना चाहिए। क्योंकि यहां से जब आप जाएंगे तो दस्तावेज वेरिफिकेशन होता है, आपकी टिकट का खर्चा, वीजा, पहले सेमेस्टर की फीस, हॉस्टल, मेस का खर्चा इतना तो लेके जाना ही पड़ेगा। अगर आप पूरी जानकारी डिटेल में जानना चाहते हैं तो अभी सफलता मोक्ष काउंसलर से 1800-571-0202 पर बात करें।
एग्जिट एग्जाम के बाद भारत सरकार कराती है एक साल की इंटर्नशिप
मौजूदा समय में नईम उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक निजी अस्पताल में प्रशिक्षण ले रहे हैं। नईम का कहना है कि एग्जिट एग्जाम पास करने वाले युवाओें को सरकार एक साल की इंटर्नशिप का मौका देती है। जिसके लिए आवेदन निकलते हैं। सरकारी प्राइवेट अस्पताल दोनों जगह इंटर्नशिप करने का मौका होता है। इस वर्ष जो बच्चे एग्जिट एग्जाम में सफल हुए हैं उनकी मेडिकल इंटर्नशिप नवंबर-दिसम्बर 2024 से शुरू की जाने वाली है। एक साल की ये इंटर्नशिप पूरी करने के बाद प्रशिक्षित डॉक्टरों की अस्पतालों में नियुक्तियां हो जाती हैं। शुरूआत में जूनियर डॉक्टर पोस्ट पर नियुक्ति मिलती है