उन्होंने बताया कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत हल्की कार्रवाई होती है। यह जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जबकि एनडीपीएस एक्ट में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। इसमें जमानत मिलना ही मुश्किल है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट में एनडीपीएस के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। इसका प्रावधान किया गया है। हालांकि अब बहुत ज्यादा सख्ती कर दी गई है।
टैबलेट पीसकर इंजेक्शन के जरिये कर रहे नशा
रोहतक स्थित पीजीआई एमडीडीसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ आर्य ने बताया कि पिछले दो-तीन साल में मेडिकल नशा तेजी से बढ़ा है। पिछले एक साल में उनकी ओपीडी में 100 से ज्यादा हेरोइन का नशा करने वाले इन नारंगी व सफेद रंग की गोलियों का सेवन करने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि पहले इसके कुछ ही मामले देखने को मिलते थे। मगर अब तेजी से बढ़ रहे हैं। कुछ लोग तो इसका इस्तेमाल टैबलेट को पीसकर पानी में मिलाकर इंजेक्शन के माध्यम से करते हैं। इससे लोग इन दवाओं के लती तो बनते हैं साथ ही जानलेवा भी साबित हो रहा है। दरअसल टैबलेट पानी में पूरी तरह से घुलती नहीं। छोटे-छोटे कणों के खून की नलियों में फंसने की आशंका रहती है। इससे ब्रेन स्ट्रोक व लकवा जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। क बार ओवरडोज से मौत भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि इन दवाओं का उपयोग करने वालों का एक छोटा सा हिस्सा ही इलाज के लिए आता है।
छह महीने में 35 केमिस्टों के लाइसेंस रद्द, 20 के खिलाफ एफआईआर
हरियाणा औषधि नियंत्रक विभाग ने इन दवाओं के बढ़ते दुरुप्रयोग को देखते हुए सख्ती बढ़ा दी है। केमिस्ट शॉप संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह इन दवाओं को डॉक्टर के परामर्श के बिना न बेचें। साथ ही दवाओं का पूरा रिकॉर्ड रखें। दवाओं के थोक विक्रेताओं को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह इन दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड औषधि विभाग के साथ साझा करें। विभाग इन दवाओं का रिकॉर्ड नारकोटिक्स ब्यूरो के साथ भी साझा करता है। औषधि विभाग ने छह महीने में प्रतिबंधित दवा बेचने वाले 35 केमिस्ट शॉप के लाइसेंस रद्द किए हैं। 15 के आंशिक लाइसेंस और 20 केमिस्ट शॉप संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
15 दवाओं का नशे के लिए हो रहा इस्तेमाल
विभाग ने 15 दवाओं को चिह्नित किया है, जिसका इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। इनमें 11 दवाइयां एनडीपीएस एक्ट के तहत आती हैं। सभी केमिस्ट शॉप संचालकों को समय-समय पर हिदायत दी जाती रही है कि इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही बेचें। साथ ही इसका रिकॉर्ड भी अपने पास रखें। इसके अलावा उनके साथ लगातार बैठकें कर जागरूक किया जा रहा है। – मनमोहन तनेजा, औषधि नियंत्रक हरियाणा
एनडीपीएस एक्ट में न आने वाली दवाओं की अवैध बिक्री में कास्मेटिक एक्ट में होती है कार्रवाई
ऐसी दवाएं जो एनडीपीएस एक्ट में नहीं आती हैं और केमिस्ट शॉप संचालक बिना डॉक्टर की पर्ची के उसे बेचता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत की जाती है। वहीं, एनडीपीएस एक्ट में जो केमिकल्स प्रतिबंधित हैं यदि वह और उनसे बनाए गए पदार्थ यदि किसी के पास तय सीमा से ज्यादा मिलता है तो उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई होती है।














































