इस्तेमाल हो रही दवाएं एनडीपीएस एक्ट में नहीं आती, चुनाैती बन रही नारंगी और सफेद रंग की गोली

parmodkumar

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नशे के बढ़ते चलन के बीच हरियाणा में लाल-सफेद रंग का कैप्सूल और नारंगी व सफेद रंग की दवा नई चुनौती बनती जा रही है। नशे के लती इन दवाओं का इस्तेमाल हीरोइन व चिट्टा के विकल्प के रूप में कर रहे हैं।
सस्ती और सहज उपलब्धता की वजह से 18 से 40 साल के लोगों के बीच इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। चिकित्सक इन दवाओं का इस्तेमाल हड्डियों, न्यूरो से संबंधित बीमारियों और दर्द निवारक के रूप में करते हैं। इन दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग ने नशा मुक्ति अभियानों के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। इनसे निपटने के लिए हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने राष्ट्रीय नारकोटिक्टस कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को पत्र लिखकर इन दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और एनडीपीएस एक्ट के दायरे में लाने की मांग की है।

तीन साल से बढ़ा चलन

नशे की समस्या को देखते हुए अमर उजाला इन दवाओं के नाम प्रकाशित नहीं कर रहा है। इन दवाओं का चलन पिछले तीन साल में काफी बढ़ा है। खासकर कोरोना के दौरान। लॉकडाउन की वजह से हेरोइन, चिट्टा, अफीम की सप्लाई रुक गई थी। ऐसे में नशे के आदी लोगों ने इन दवाओं की ओर रुख किया। हेरोइन के मुकाबले ये दवाएं सस्ती हैं और असर भी बराबर होता है। हेरोइन के मुकाबले यह आधे दाम में मिलती हैं और सबसे बड़ी बात यह कि ये दवाएं एनडीपीएस एक्ट 1985 के दायरे में नहीं आतीं। यानी इनकी बिक्री दंडनीय अपराध नहीं है। इस वजह से इन दवाओं की मांग बढ़ी है।

दुरुपयोग के आधार पर एनडीपीएस एक्ट में तय होती हैं दवाइयां

हरियाणा के पूर्व ड्रग कंट्रोलर नरेंद्र आहुजा ने बताया कि नशे के लिए दवाओं का दुरुपयोग गंभीर समस्या है। इस पर लगाम के लिए केंद्र व राज्य सरकारें निरंतर प्रयास करती रहती हैं। कई बार देखा गया है कि इन दवाओं का वैध उपयोग नशीली दवाओं के दुरुपयोग से अधिक होता है। ऐसी स्थिति में दवाओं का दुरुपयोग रोकने के लिए एजेंसी अपने-अपने स्तर
पर कदम उठाती हैं।

लाभ से ज्यादा दुरुपयोग होने की स्थिति में स्वास्थ्य विभाग की ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी (डीसीसी) दवाओं को एनडीपीएस में सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव देती है और उस पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के तहत अधिसूचना जारी करती है। कई दवाएं एनडीपीएस एक्ट के दायरे में पहले से हैं।

उन्होंने बताया कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत हल्की कार्रवाई होती है। यह जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जबकि एनडीपीएस एक्ट में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। इसमें जमानत मिलना ही मुश्किल है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट में एनडीपीएस के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। इसका प्रावधान किया गया है। हालांकि अब बहुत ज्यादा सख्ती कर दी गई है।

टैबलेट पीसकर इंजेक्शन के जरिये कर रहे नशा

रोहतक स्थित पीजीआई एमडीडीसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ आर्य ने बताया कि पिछले दो-तीन साल में मेडिकल नशा तेजी से बढ़ा है। पिछले एक साल में उनकी ओपीडी में 100 से ज्यादा हेरोइन का नशा करने वाले  इन नारंगी व सफेद रंग की गोलियों का सेवन करने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि पहले इसके कुछ ही मामले देखने को मिलते थे। मगर अब तेजी से बढ़ रहे हैं। कुछ लोग तो इसका इस्तेमाल टैबलेट को पीसकर पानी में मिलाकर इंजेक्शन के माध्यम से करते हैं। इससे लोग इन दवाओं के लती तो बनते हैं साथ ही जानलेवा भी साबित हो रहा है। दरअसल टैबलेट पानी में पूरी तरह से घुलती नहीं। छोटे-छोटे कणों के खून की नलियों में फंसने की आशंका रहती है। इससे ब्रेन स्ट्रोक व लकवा जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। क बार ओवरडोज से मौत भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि इन दवाओं का उपयोग करने वालों का एक छोटा सा हिस्सा ही इलाज के लिए आता है।

छह महीने में 35 केमिस्टों के लाइसेंस रद्द, 20 के खिलाफ एफआईआर

हरियाणा औषधि नियंत्रक विभाग ने इन दवाओं के बढ़ते दुरुप्रयोग को देखते हुए सख्ती बढ़ा दी है। केमिस्ट शॉप संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह इन दवाओं को डॉक्टर के परामर्श के बिना न बेचें। साथ ही दवाओं का पूरा रिकॉर्ड रखें। दवाओं के थोक विक्रेताओं को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह इन दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड औषधि विभाग के साथ साझा करें। विभाग इन दवाओं का रिकॉर्ड नारकोटिक्स ब्यूरो के साथ भी साझा करता है। औषधि विभाग ने छह महीने में प्रतिबंधित दवा बेचने वाले 35 केमिस्ट शॉप के लाइसेंस रद्द किए हैं। 15 के आंशिक लाइसेंस और 20 केमिस्ट शॉप संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

15 दवाओं का नशे के लिए हो रहा इस्तेमाल

विभाग ने 15 दवाओं को चिह्नित किया है, जिसका इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। इनमें 11 दवाइयां एनडीपीएस एक्ट के तहत आती हैं। सभी केमिस्ट शॉप संचालकों को समय-समय पर हिदायत दी जाती रही है कि इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही बेचें। साथ ही इसका रिकॉर्ड भी अपने पास रखें। इसके अलावा उनके साथ लगातार बैठकें कर जागरूक किया जा रहा है। – मनमोहन तनेजा, औषधि नियंत्रक हरियाणा

एनडीपीएस एक्ट में न आने वाली दवाओं की अवैध बिक्री में कास्मेटिक एक्ट में होती है कार्रवाई

ऐसी दवाएं जो एनडीपीएस एक्ट में नहीं आती हैं और केमिस्ट शॉप संचालक बिना डॉक्टर की पर्ची के उसे बेचता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत की जाती है। वहीं, एनडीपीएस एक्ट में जो केमिकल्स प्रतिबंधित हैं यदि वह और उनसे बनाए गए पदार्थ यदि किसी के पास तय सीमा से ज्यादा मिलता है तो उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई होती है।