लंपी बीमारी से हरियाणा में दूध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। संक्रमित पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता गिर रही है, जबकि कमजोर पशु बिल्कुल दूध देना कम कर रहे हैं। इससे प्रदेश में दूध की मांग बढ़ रही है और इसके रेट में भी बढ़ोतरी हो रही है। दूध की मांग को देखते हुए पिछले दिनों वीटा ने भी दूध के दाम एक रुपये बढ़ाए हैं। प्रदेश में करीब 16 लाख परिवारों के पास 36 लाख दुधारू पशु हैं। हरियाणा में कुल वार्षिक दूध का कुल उत्पादन 117.34 लाख टन है। इसमें सबसे अधिक हिस्सा भैंस का 9474 टन, गाय के दूध का 2207 टन और बकरी के दूध का 52 टन उत्पादन शामिल है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, औसतन हरियाणा में 32 लाख टन दूध का उत्पादन होता है लेकिन जब से प्रदेश में लंपी बीमारी सक्रिय हुई है, तब से पशुओं के दूध देने की क्षमता कम हो रही है। सबसे अधिक गाय इस बीमारी से प्रभावित हैं और इनके दूध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। इसका दूसरा कारण ये भी है कि संक्रमित पशु का दूध निकालने से भी पशुपालक बच रहे हैं। दूध का उत्पादन कम होने से प्रदेश में दूध की मांग भी बढ़ने लगी है। गौर हो कि प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता व आय के मामले में हरियाणा पंजाब से भी आगे है। प्रदेश में साल 2019-2020 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दूध की उपलब्धता 1344 ग्राम हो गई है। लंपी बीमारी से हरियाणा के 4286 गांव प्रभावित हैं। प्रदेश में संक्रमित पशुओं की संख्या 84766 पहुंच गई है। इनमें से 75080 गायें संक्रमित हैं और 145 भैसें भी इस बीमारी से ग्रस्त हो गई हैं। प्रदेश में 1294 गायों की मौत हो चुकी है, जबकि एक भैंस ने भी दम तोड़ा है। राहत की बात ये है कि रिकवरी दर तेजी से बढ़ रही है और 64 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मृत्यु दर 1.79 फीसदी चल रही है। अब तक 54265 पशु इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं और 28985 पशु संक्रमित हैं। प्रदेशभर में कुल 336 गोशालाओं में लंपी संक्रमण दस्तक दे चुका है। प्रदेश में 14 लाख से अधिक पुशओं का टीकाकरण कराया जा चुका है। इनमें से 29306 पशुओं को 3एमएल खुराक दी गई है, जबकि 13.75 लाख पशुओं को 1एमएम खुराक से टीकाकरण किया गया है।
हरियाणा में 20% तक घटा दूध उत्पादन, सबसे अधिक गायों में असर, भैंसें भी प्रभावित
Parmod Kumar














































