राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बोले कि सरकार फसल विविधीकरण योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहन दे रही है, कृषि बजट को बढ़ाकर 1 लाख 23 हजार करोड़ किया

Parmod Kumar

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केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार लगातार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी कर रही है. वहीं कृषि बजट को बढ़ाकर 1 लाख 23 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह पहले 21 हजार करोड़ रुपए हुआ करता था.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार फसल विविधीकरण योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहन दे रही है. बागवानी फसलों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके लिए अलग से कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.

केंद्र साल में दो बार जारी करता है एसडीआरएफ को फंड

फसल नुकसान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार एनडीआरएफ और एसडीआरएफ से प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा देती है. बता दें कि प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी लागू है.

वहीं एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र साल में दो बार एसडीआरएफ को फंड जारी करता है. इस योजना के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय 75 प्रतिशत देता है और 25 प्रतिशत राज्य द्वारा दिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर एसडीआरएफ फंड अपर्याप्त लगता है तो केंद्र एसडीआरएफ को अतिरिक्त फंड देता है.

फसल विविधीकरण के लिए शुरू हुई है योजना

कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि सरकार ने फसल विविधीकरण के लिए एक योजना शुरू की है और वह किसानों को ऐसी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिनमें कम पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है. उन्होंने एक किलो धान की फसल के लिए 3,000 से 5,000 लीटर पानी की जरूरत बताते हुए कहा कि किसानों को अलग-अलग फसलों की खेती करने की सलाह दी जाती है और प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है.

एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कि यदि कोई किसान जो कई वर्षों से धान या गेहूं की खेती कर रहा है, कई कारणों से नुकसान की आशंका में अन्य फसलों को लेकर संकोच कर सकता है, मंत्री ने कहा कि नुकसान की स्थिति में किसानों को फसल बीमा, एसडीआरएफ और अन्य योजनाओं के माध्यम से मुआवजा दिया जा सकता है.